Chhath Kharna 2025: छठ के दूसरे दिन की जाती है खरना, जानें पूजा की विधि और महत्व

Chhath Kharna 2025: छठ के दूसरे दिन की जाती है खरना, जानें पूजा की विधि और महत्व

Chhath Kharna 2025: छठ महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। ये त्योहार खास करके बिहार, झारखंड और यूपी में मनाया जाता है। इस महापर्व की शुरुआत होते ही  हर ओर श्रद्धा और आस्था के रंग दिखाई देने लगते हैं। छठ के इस महापर्व का रविवार, 26 अक्टूबर को दूसरा दिन हैं। छठ के दूसरे दिन खरना की जाती है और इसके बाद अगले दो दिन अलग-अलग समय पर सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है। आइए जानते है खरना का महत्व और पूजन विधि।

खरना का क्या है महत्व? 

छठ में खरना के दिन को खास माना जाना जाता है। इसी दिन से 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। ये दिन शारीरिक और मानसिक पवित्रता के लिए जाना जाता है। खरना के दौरान व्रती अपने मन, विचार और कर्म को शुद्ध करती है ताकि आने वाले कठिन व्रत के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें। इस दिन बनाए गए प्रसाद को परिवार और अन्य लोगों के साथ बांटा जाता है।

पूजा की विधि

खरना में सुबह में सूर्योदय से पहले स्नान कर आत्मिक शुद्धि का संकल्प लिया जाता है और सूर्य देव और छठी मैया का ध्यान करते हुए दिनभर निर्जला व्रत रखा जाता है। इसके बाद शाम की पूजा से पहले पूजन स्थल की सफाई होती है। सूर्यास्त के बाद प्रसाद तैयार करें। इस दिन गुड़ की खीर या दूध-चावल की खीर बनाई जाती है। इसके साथ आटे की रोटी या पूरी भी बनाई जाती है। इस प्रसाद में केला भी शामिल किया जाता है। प्रसाद तैयार होने के बाद सूर्य देव और छठी माता की विधिवत पूजा होती है। फिर व्रती मंत्र जप करते हुए पहले सूर्य देव और फिर छठी मैया को भोग लगाती है। 

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