Kalashtami Vrat 2024: कालाष्टमी हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है ,इसे काल भैरव जंयती भी कहा जाता है। इस दिन भगवान शंकर के कालभैरव रूप कि पूजा की जाती है। यह 2 अप्रैल 2024 यानी मंगलवार को मनाई जाएगी। कालाष्टमी शिव भगतों के लिए एक बहुत पावन पर्व है
कालाष्टमी का महत्व
हर महीने में दो अष्टमी आती है कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मासिक कालाष्टमी और शुक्ल पक्ष की अष्टमी को मासिक दुर्गा अष्टमी कहते हैं। कालाष्टमी को हर महिने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है यह दिन भगवान भैरव को समर्पित है। काल भैरव को भगवान शिव का ही अंश माना जाता है। भैरव की पूजा के बिना शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, भैरव के तीन रूप हैं- काल भैरव, बटुक भैरव और रूरू भैरव। इस दिन इनके काल भैरव स्वरूप की पूजा करने का विधान है।
मान्यता है कि इस दिन इनकी अराधना करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं और मनचाही मुरादें पूरी होती हैं। भगवान भैरव अपने जातक की हर संकट से रक्षा करते हैं और इनके पूजन से सभी प्रकार की नकारात्मक शक्ति से भी छुटकारा मिलता है। इस दिन की पूजा में भैरव चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा काल भैरव के वाहन काले कुत्ते को इस दिन भोजन जरूर कराना चाहिए। यह करने से भैरव बाबा बहुत प्रसन्न होते है जिससे भगतों कि सारी मनोकामनाएं पूरी होती है।
कालाष्टमी तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरूआत 1अप्रैल सोमवार के रात 09:10 PM को होगी और अगले दिन 2 अप्रैल, मंगलवार को 08:08 PM पर समाप्त होगी। कालाष्टमी का व्रत 2अप्रैल मंगलवार को रखा जाएगा।
कालाष्टमी की पूजन विधि
अष्टमी तिथि को प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि कर साफ कपड़े पहन लें। उसके बाद पास के शिव मंदिर में जाकर भगवान शंकर और माता पार्वती की आराधना करें। कालाष्टमी के दिन काल भैरव के साथ साथ मां दुर्गा की पूजा करने का बहुत ही अच्छा माना जाता है इसलिए मां दुर्गा कि पूजा अवश्य करें। इसके अलावा इस दिन का व्रत फलाहार के साथ किया जाता है। मासिक कालाष्टमी के दिन भैरव मंत्र का जाप 108 बार करें। इससे व्यक्ति कि सारी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं ।
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