Exit Poll Result: क्या हैदराबाद में ओवैसी का गढ़ सेफ? कैसे AIMIM-BRS की मुट्ठी से निकले मुस्लिम वोटर?

Exit Poll Result: क्या हैदराबाद में ओवैसी का गढ़ सेफ? कैसे AIMIM-BRS की मुट्ठी से निकले मुस्लिम वोटर?

Exit Poll Result: तेलंगाना में मतदान खत्म होने के बाद पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर एग्जिट पोल आ चुके हैं। इस बीच चुनाव के एग्जिट पोल भी सामने आ गए हैं। एबीपी के लिए सी-वोटर के मुताबिक मध्य प्रदेश में असमंजस की स्थिति है, जबकि राजस्थान में BJPको बढ़त मिलती दिख रही है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की वापसी की उम्मीद है। हालांकि, तेलंगाना में कांग्रेस साफ तौर पर जीतती दिख रही है।

अगर कांग्रेस तेलंगाना में जीतती है तो यह सिर्फ उसकी जीत नहीं होगी, बल्कि इसका मतलब मुस्लिम वोटों का कांग्रेस की ओर खिसकना होगा। वो भी तब जब राज्य में कांग्रेस का सीधा मुकाबला BRSसे है और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन औवेसी भी मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ खड़े हैं।

गौरतलब है कि तेलंगाना में केसीआर और औवैसी ने मिलकर चुनाव लड़ा था ताकि मुस्लिम वोट न जाएं। हालाँकि, कांग्रेस ने इस वोट बैंक में सेंध लगा ली है और अब यह उसकी झोली में आता दिख रहा है। जानकारों का मानना ​​है कि ओवैसी के पारंपरिक वोटर उनसे दूर होकर किसी और के पास नहीं जाएंगे। यही वजह है कि केसीआर औवेसी के साथ आये।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर को पता था कि हैदराबाद समेत मुसलमानों के बीच औवेसी का प्रभाव काफी ज्यादा है। ऐसे में दोनों पार्टियां कांग्रेस के खिलाफ एक साथ आईं, ताकि मुस्लिम वोट कांग्रेस की तरफ न जाएं।

क्या कहता है तेलंगाना का एग्ज़िट पोल?

एबीपी न्यूज सी वोटर के एग्जिट पोल के मुताबिक, तेलंगाना की 119 सीटों में से कांग्रेस 49 से 65 सीटें जीत सकती है। तेलंगाना में सरकार बनाने के लिए 60 सीटों की जरूरत है, जबकि BRSको 38 से 54 सीटें मिलती दिख रही हैं। वहीं, एआईएमआईएम चुनाव में 5 से नौ सीटें जीत सकती है, जबकि BJPको 5 से 13 सीटें मिलने का अनुमान है।

तेलंगाना में क्या है चुनावी समीकरण?

ओवैसी ने हैदराबाद और उसके आसपास की 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। ऐसे में अगर BRSओवेसी की सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारती भी है तो वो कमज़ोर मोहरे हैं। साथ मिलकर चुनाव लड़ने से ये सीटें निश्चित तौर पर गठबंधन के पास आती हैं। वहीं, केसीआर को हैदराबाद के बाहर मुस्लिम वोट हासिल करने के लिए ओवैसी का भी समर्थन मिलता है।

हैदराबाद में मुस्लिम आबादी

अकेले हैदराबाद में मुस्लिम आबादी लगभग 17 लाख 30 हजार है, जो पूरे राज्य की मुस्लिम आबादी का लगभग 40 प्रतिशत है। हैदराबाद में 15 विधानसभा सीटें हैं और ज्यादातर सीटों पर नतीजे मुस्लिम मतदाता तय करते हैं। वहीं, 119 सीटों वाली तेलंगाना विधानसभा में मुस्लिम आबादी करीब 45 लाख है, जो राज्य की कुल आबादी का करीब 13 फीसदी है। ये मुस्लिम वोटर राज्य की 40-45 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ऐसे में सत्ताधारी BRSको उम्मीद थी कि ओवैसी की वजह से मुस्लिम वोट एकजुट होकर उसे मिलेगा, लेकिन फिलहाल एग्जिट पोल के नतीजों में तस्वीर उलट नजर आ रही है।

मुस्लिम वोट कांग्रेस की ओर कैसे शिफ्ट हुए?

एग्जिट पोल के नतीजों के मुताबिक, तेलंगाना में कांग्रेस स्पष्ट सरकार बनाती दिख रही है और ऐसा इसलिए है क्योंकि मुस्लिम वोट शिफ्ट होता दिख रहा है, लेकिन अब सवाल यह है कि अगर ऐसा हुआ तो कैसे हुआ और क्यों हुआ?

कांग्रेस ने बार-बार जनता को यह समझाने की कोशिश की कि ओवैसी BJPके लिए वकालत करते हैं और जनता इस बात को समझ गई है। इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि हम लगातार जनता के बीच ये बताने की कोशिश कर रहे थे कि औवेसी वहीं चुनाव लड़ते हैं जहां वो BJPको फायदा पहुंचा सकते हैं।

इसके अलावा ओवैसी के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में भी वोटिंग कम हुई। बहादुरपुरा सीट पर 39.11 फीसदी, चारमीनार पर 34 फीसदी और मालकपेट में 41 फीसदी वोटिंग हुई। वहीं, नामपल्ली में 32 फीसदी और याकूतपुरा में सिर्फ 27 फीसदी वोट पड़े।

क्या कांग्रेस के लिए औवेसी को BJPकी टीम बी कहना फायदेमंद है?

राजनीतिक जानकार भी कांग्रेस के इस दावे की पुष्टि कर रहे हैं कि तेलंगाना में लोगों को लगा है कि ओवैसी और BJPमिले हुए हैं। इससे मतदाताओं की नजर में औवैसी की छवि कम हो गयी है।

BRSसे नाराज हैं मुसलमान

तेलंगाना के मुसलमानों की शिकायत है कि BRSने उनकी कोई मांग नहीं सुनी। पार्टी ने जो वादे किये थे वे पूरे नहीं किये गये। 12 फीसदी आरक्षण की मांग को नजरअंदाज कर दिया गया। वहीं, मुसलमानों के मुद्दे पर केसीआर की अनदेखी पर भी ओवैसी चुप रहे।

नतीजा ये हुआ कि मुस्लिम संगठनों की एक ज्वाइंट एक्शन कमेटी ने चुनाव से ठीक 8 दिन पहले कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया। इतना ही नहीं, जमात-ए-इस्लामी तेलंगाना ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे 69 उम्मीदवारों को अपना समर्थन दिया।

दूसरी ओर, कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार में मुस्लिम मतदाताओं को लुभाने के लिए कई वादे किए। तेलंगाना कांग्रेस ने अल्पसंख्यक कल्याण बजट को 4,000 करोड़ रुपये तक बढ़ाने का दावा किया और मुस्लिम नवविवाहितों को 1,60,000 रुपये देने की भी घोषणा की।

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