नेपाल में लगे हैं भारत के इतने पैसे, हिंसा हुई तो प्रभावित होंगे ये प्रोजेक्ट्स; दोनों देशों के रिश्तों पर भी पड़ेगा असर!

नेपाल में लगे हैं भारत के इतने पैसे, हिंसा हुई तो प्रभावित होंगे ये प्रोजेक्ट्स; दोनों देशों के रिश्तों पर भी पड़ेगा असर!

India-Nepal Relations: नेपाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का आंदोलन हिंसा में बदल गया है। संसद भवन और सरकारी इमारतों में आग लगाने के बाद प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। 30 से ज्यादा मौतें और कर्फ्यू के बीच भारत के लिए ये अस्थिरता नई कूटनीतिक चुनौती बन गई है। भारत नेपाल का सबसे बड़ा व्यापारिक और निवेश साझेदार है, लेकिन अब उसके अरबों रुपये के प्रोजेक्ट खतरे में हैं। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर हालात नहीं संभले, तो आर्थिक सहयोग के साथ-साथ दोनों देशों के रिश्ते भी तनावग्रस्त हो सकते हैं।

ऐतिहासिक व्यापारिक बंधन

सदियों पुराने रिश्तों में भारत भूमि-आबद्ध नेपाल का प्रमुख द्वार रहा है। 22 सीमावर्ती स्थानों से सामान की आपूर्ति के साथ भारत नेपाल का 63% से ज्यादा व्यापार संभालता है। 2023-24 में भारत से नेपाल को निर्यात 6.95 अरब डॉलर का रहा, जबकि नेपाल से आयात मात्र 831 मिलियन डॉलर। इससे व्यापार संतुलन भारत के पक्ष में है, लेकिन नेपाल की अर्थव्यवस्था पर निर्भरता बढ़ी है। कुल विदेशी निवेश में भारत का 30% हिस्सा है, जो जुलाई 2023 तक 755 मिलियन डॉलर तक पहुंचा।

नेपाल में 150 से अधिक भारतीय सरकारी-निजी कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग, बैंकिंग, शिक्षा, दूरसंचार और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सक्रिय हैं। इनसे रोजगार, राजस्व और निर्यात में योगदान मिला है।

ऊर्जा क्षेत्र में मजबूत सहयोग

नेपाल की जलविद्युत क्षमता का फायदा उठाते भारत ने अगले दशक में 10,000 मेगावाट बिजली खरीदने का वादा किया है। प्रमुख प्रोजेक्ट्स में अरुण-3 (900 मेगावाट, निवेश 58 अरब रुपये) शामिल है, जिसका निर्माण सतलुज जलविद्युत निगम (SJVN) कर रहा है और 2026 तक चालू होने की उम्मीद है। अपर कर्णाली (900 मेगावाट, 13 अरब रुपये) GMR ऊर्जा और लोअर अरुण (669 मेगावाट, 9 अरब रुपये) SJVN के नेतृत्व में हैं।

जनवरी 2025 में IREDA ने अपर कर्णाली के लिए संयुक्त उद्यम समझौता किया। क्रॉस-बॉर्डर ट्रांसमिशन लाइनों में 5-9 अरब रुपये का निवेश हुआ, जैसे मुजफ्फरपुर-ढालकेबार 400 केवी लाइन (2016 में उद्घाटन)। NHPC ने वेस्ट सेटी+SR6 (1200 मेगावाट) और फुकोट-कर्णाली (480 मेगावाट) के लिए 2022-23 में एमओयू साइन किए।

पेट्रोलियम पाइपलाइन मोतिहारी-अमलेखगंज लगभग पूरी हो चुकी, जो ट्रक परिवहन की जोखिम कम करेगी। भारत ने 1.65 अरब डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट से 45 सड़कें और 6 जलविद्युत परियोजनाएं शुरू कीं। अध्ययन बताते हैं कि बिजली निर्यात बढ़ने से नेपाल का जीडीपी 2045 तक 120 अरब डॉलर छू सकता है।

अस्थिरता से निवेश पर खतरा

नेपाल में बढ़ती हिंसा ने भारत के हितों को चुनौती दी है। जेन-जेड प्रदर्शनकारियों ने भ्रष्टाचार, नेपोटिज्म और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कें जलाईं। 2024 में युवा बेरोजगारी 20.8% रही, जो आंदोलन की जड़ है।

भारत के प्रोजेक्ट्स रुक सकते हैं, जिससे आर्थिक नुकसान होगा। कूटनीतिक रूप से, भारत को संतुलन बनाना होगा—सहयोग बढ़ाते हुए स्थिरता सुनिश्चित करनी होगी। पर्यटन और नागरिक उड्डयन जैसे क्षेत्र भी प्रभावित हो रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं, नेपाल की अस्थिरता भारत के पड़ोस नीति के लिए परीक्षा है। अगर संवाद न हुआ, तो लंबे रिश्ते खट्टे हो सकते हैं।

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