हरियाणा में अशोक खेमका के अलावा एक अन्य IASअफसर भी सरकारों के निशाने पर रहे हैं। राज्य के अशोक खेमका के साथ ही वरिष्ठ IASअफसर प्रदीप कासनी के पीछे सरकारें हाथ धोकर पड़ी रही हैं। खेमका का अब तक की में जहां 50 बार तबादला हो चुका, वहीं कासनी 70 बार तबादले झेल चुके हैं। कासनी का उनकी रिटायरमेंट के आखिरी पड़ाव पर तबादला हुआ है। अब उनके पास ना आफिस, गाड़ी है, ना स्टाफ है और ना ही वेतन मिल रहा है।
1997 बैच के आइएएस प्रदीप कासनी मूल रूप से भिवानी जिले के रहने वाले हैं। प्रदीप कासनी की रिटायरमेंट 28 फरवरी 2018 को होनी है। रिटायरमेंट से तीन महीन पहले सरकार के इस तरह के बर्ताव पर कासनी बेहद आहत हैं। कासनी के मुताबिक, खादी ग्रामोद्योग बोर्ड में कुछ लोग साढ़े पांच करोड़ रुपये की गड़बड़़ करना चाहते थे। उनका कहना है, मैं रोड़ा बन रहा था। इसलिए मुझे वहां से हटा दिया।
रही लैंड यूज बोर्ड की बात, तो 2008 से आज तक इसका बजट ही नहीं बना है। किसी को यह भी नहीं पता कि यह बोर्ड किसके अधीन किस तरह से काम करता है। 2007 तक इस बोर्ड को पर्यावरण विभाग के अधीन माना जाता रहा है। इसलिए अब वेतन, स्टाफ, आफिसर और गाड़ी के लाले पड़े हुए हैं।लेकिन हैरानी वाली बात है कि जिस अफ्सर ने इतनी लंबी सेवा दी हो रिटायरमेंट के आखिरी पड़ाव पर उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों। ऑफिस तो खैर दिया नहीं है ऐसे में कासनी हाईकोर्ट का चक्कर काट रहे हैं। हैरान करने वाली बात है, कि आखिर IASअधिकारियों के साथ सरकारें ऐसे क्यों करती है।
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