काबिलियत को सराहने की जगह इंटरनैट पर फिर शुरू हुई बॉडी शेमिंग, ‘जहर’ उगलने से पहले ट्रोलर्स जानें क्या है Hirsutism

काबिलियत को सराहने की जगह इंटरनैट पर फिर शुरू हुई बॉडी शेमिंग, ‘जहर’ उगलने से पहले ट्रोलर्स जानें क्या है Hirsutism

Prachi Nigam Body Shaming: प्राची निगम ने 10वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में 98.5 प्रतिशत के साथ टॉप किया। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने 20 अप्रैल, 2024 को कक्षा 10वीं और 12वीं के परिणाम घोषित किए। सीतापुर की रहने वाली प्राची निगम ने परीक्षा में टॉप किया, हालांकि, सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने उनके चेहरे की विशेषताओं के लिए उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया।

जहां ट्रोलर्स ने उनके फीचर्स को लेकर मजाक उड़ाया, वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जो उनके सपोर्ट में आए। यौवन के दौरान शरीर कई बदलावों और प्रक्रियाओं से गुजरता है, जिनमें से एक है हार्मोनल असंतुलन। इससे शरीर में कई बदलाव होते हैं जिनमें चेहरे, छाती, पीठ और शरीर के अन्य हिस्सों में बालों का बढ़ना शामिल है। इसे हर्सुटिज्म(Hirsutism) के नाम से भी जाना जाता है।

Hirsutismक्या है?

Hirsutismएक ऐसी स्थिति है जो उन क्षेत्रों में अत्यधिक बाल बढ़ने की बढ़ाने लग जाती है, जहां महिलाओं में बाल आम तौर पर बाल नही होते है या फिर बहुत कम होते है। जैसे की चेहरा, छाती, पीठ और पेट। यह आमतौर पर हार्मोन में असंतुलन के कारण होता है, विशेष रूप से टेस्टोस्टेरोन जैसे एण्ड्रोजन के बढ़े हुए स्तर के कारण। इस स्थिति के कारण बाल मोटे और काले होने लगते हैं। बालों का बढ़ना पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) जैसे कारण से भी हो सकता है।

इंटरनेट की आड़ में जहर उगलकर ट्रोलर्स क्या साबित करना चाहते हैं?

आज के डिजिटल युग में, इंटरनेट अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कठोर आलोचना दोनों के लिए एक मंच के रूप में काम करता है। लेकिन दुर्भाग्य से यह मंच प्राची जैसे लोगों के लिए अभिशाप बनता जा रहा है। उन्हें इस बात का अंदाज़ा नहीं होता कि उनकी अज्ञानता मन पर कितना गहरा प्रभाव डाल सकती है। यह घटना न केवल समाज द्वारा कायम अवास्तविक सौंदर्य मानकों को उजागर करती है बल्कि ऑनलाइन चर्चा की प्राथमिकताओं पर भी सवाल उठाती है।

किसी भी छात्र के लिए 10वीं बोर्ड परीक्षा में 98.50% नंबला लाना आसान नहीं होता, प्राची के उत्कृष्ट शैक्षणिक प्रदर्शन के बावजूद, उसकी उपल्बधियों को लोगों ने बस इस लिए नजअंदाज कर दिया गया, क्योंकि वो समाज द्वारा कायम अवास्तविक सौंदर्य मानकों जैसी नहीं दिखती। इंटरनेट की आड़ में ये सब करके लोगों क्या साबित करना चाह रहे हैं?

उसकी शैक्षणिक उत्कृष्टता से हटकर सबका ध्यान शारीरिक विशेषताओं पर केंद्रित हो गया है, असंवेदनशील टिप्पणियों के साथ उसकी लैंगिक पहचान पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ये आहत करने वाली टिप्पणियाँ न केवल सामाजिक मानदंडों के खोखलेपन को दर्शाती हैं, बल्कि ऑनलाइन बातचीत में सहानुभूति और समझ की कमी को भी दर्शाती हैं। अब समय आ गया है कि हम इसे बदलें।

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