भारत ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर बढ़ाई सैन्य ताकत, बांग्लादेश-पाक की नजदीकियों के बीच तैनात हुई 3 नई चौकियां

भारत ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर बढ़ाई सैन्य ताकत, बांग्लादेश-पाक की नजदीकियों के बीच तैनात हुई 3 नई चौकियां

3 New Garrisons On Bangladesh Border: बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों और बदलते भू-राजनीतिक हालातों के बीच भारत ने बांग्लादेश बॉर्डर पर तीन नई सैन्य चौकियां (गैरिसन) स्थापित कर दी हैं। ये चौकियां बमुनी (धुबरी के पास), किशनगंज और चोपड़ा में बनाई गई हैं। इनका उद्देश्य सीमाओं के कमजोर हिस्सों को मज़बूत करना और सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा को और पुख्ता बनाना है।

यह कॉरिडोर, जिसे "चिकन नेक" कहा जाता है, भारत की सुरक्षा रणनीति में बेहद अहम है। सिर्फ 22 किलोमीटर चौड़ा यह गलियारा देश के पूर्वोत्तर राज्यों को मुख्यभूमि भारत से जोड़ता है और नेपाल, बांग्लादेश, चीन व भूटान की सीमाओं से घिरा है। अगर यह मार्ग बाधित हुआ, तो पूर्वोत्तर भारत अलग-थलग पड़ सकता है।

हाल ही में बांग्लादेश के अंतरिम सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने पाकिस्तान के जनरल साहिर शमशाद मिर्जा से मुलाकात की। दोनों के बीच रक्षा सहयोग और कनेक्टिविटी पर चर्चा हुई। यूनुस ने शेख हसीना के हटने के बाद चीन को निवेश के नए प्रस्ताव दिए और पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की बात कही। इस भू-राजनीतिक बदलाव के बाद भारत ने अपनी रणनीतिक चौकसी बढ़ाई है।

भारतीय सेना का त्रिशक्ति कोर (33कोर) सिलीगुड़ी कॉरिडोर की रक्षा की रीढ़ है। सुखना स्थित इसका मुख्यालय लगातार इस क्षेत्र की निगरानी करता है। हाल ही में कोर ने T-90टैंकों के साथ लाइव फायरिंग एक्सरसाइज की और ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ नामक संयुक्त सैन्य-अभ्यास भी किया। इसमें ड्रोन, कामिकेज ड्रोन और FPV ड्रोन का उपयोग किया गया। "अश्नि प्लाटून" और "भैरव बटालियन" जैसी विशेष इकाइयाँ हर स्थिति में प्रतिक्रिया देने के लिए तैयार हैं।

राफेल, ब्रह्मोस और S-400से सुरक्षित चिकन नेक

भारत ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक हथियार तैनात किए हैं। हाशिमारा एयरबेस पर 18राफेल जेट्स, ब्रह्मोस मिसाइल रेजिमेंट, और S-400एयर डिफेंस सिस्टम की तैनाती की गई है। S-400दुश्मन के जेट्स और मिसाइलों को 400किलोमीटर की दूरी से ही नष्ट कर सकता है। इसके अलावा MRSAM और स्वदेशी आकाश सिस्टम भी इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। इन सभी प्रणालियों के साथ भारत का यह “चिकन नेक” अब न केवल अभेद्य किला बन चुका है, बल्कि यह पूर्वोत्तर भारत की जीवनरेखा की तरह हर समय ‘बैटल रेडी’ भी है।

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