भारत की रूसी खरीद ने दिखाई आर्थिक सूझबूझ, नहीं तो आज... रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

भारत की रूसी खरीद ने दिखाई आर्थिक सूझबूझ, नहीं तो आज... रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

India-Russia Relation: अमेरिका ने भारत पर पहले से ही 25% टैरिफ लगा रहा था, लेकिन रूस से तेल खरीदने की वजह से 25% टैरिफ और लगा दिया। यानी कुल 50% टैरिफ, जो 27 अगस्त से लागू हो चुका है। इस बीच एक रिपोर्ट्स सामने आई है, जिसमें विशेषज्ञों ने बताया कि अगर भारत और चीन जैसे देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया होता, तो वैश्विक अर्थव्यवस्था एक बड़े संकट का सामना कर रही होती।

रूसी तेल और भारत की ऊर्जा रणनीति

दरअसल, साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगाए, जिसके चलते यूरोप ने रूसी तेल का आयात लगभग बंद कर दिया। इस स्थिति में रूस ने भारत और चीन जैसे देशों को सस्ते दामों पर कच्चा तेल बेचना शुरू किया। भारत, जो दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक और उपभोक्ता देश है, ने इस अवसर का लाभ उठाया। पहले जहां भारत अपनी तेल जरूरतों का केवल 0.2% रूस से आयात करता था, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 38-44% तक पहुंच गया।

रूसी तेल की कीमत वैश्विक बाजार मूल्य (ब्रेंट क्रूड) से 4-5 डॉलर प्रति बैरल कम रही, जिसके चलते भारत ने 2022 से 2025 तक 11 से 25 अरब डॉलर की बचत की। उद्योग सूत्रों ने कई तथ्‍यों के हवाले से बताया है कि अगर भारत रूसी तेल नहीं खरीदता तो वैश्विक स्‍तर पर परिणाम कितने भयानक हो सकते थे। यानी भारत ने रूसी तेल खरीदकर एक ग्‍लोबल संकट को रोका। अगर भारत तेल खरीदना बंद कर देता, तो आज कच्चे तेल की कीमत 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थी। इस कदम की अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन समेत कई इंटरनेशनल हस्तियों ने भी सराहना की है।

वैश्विक तेल बाजार पर प्रभाव

मालूम हो कि रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उत्पादक देश है, जो प्रतिदिन लगभग 95 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है और वैश्विक तेल आपूर्ति का 10% हिस्सा पूरा करता है। अगर भारत और चीन जैसे बड़े खरीदार रूस से तेल खरीदना बंद कर देते, तो तेल की आपूर्ति में भारी कमी आती, जिससे कच्चे तेल की कीमतें 150 से 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थीं। इससे न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में ईंधन की कीमतें आसमान छूतीं, जिसका असर परिवहन, विनिर्माण, और उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों पर पड़ता।

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