
फिल्म दम लगाके हईशा पिछले कई सालों में ये यशराज बैनर से निकलने वाली सबसे अच्छी फिल्म है. अगर आप 90 के दशक में बड़े हुए हैं और अगर उस दौर का माहौल और ख़ासतौर पर रिश्तों के प्रति लोगों का नज़रिया आपकी यादों में धुंधला गया है तो ये फिल्म आपको वापस उस दौर में ले जाएगी. हरिद्वार के मध्यवर्गीय परिवार का लड़का प्रेम (आयुष्मान खुराना) हाई स्कूल फेल है, कुमार शानू का फैन है और ऑडियो कैसेट की दुकान चलाता है. उसके अंदर किसी तरह का कोई टैलेंट नहीं है. परिवार उसकी शादी संध्या (भूमि पेडनेकर) से करवा देता है.
भूमि पढ़ी-लिखी लड़की है लेकिन उसका वज़न ज़्यादा है जिसकी वजह से प्रेम बार-बार उसका अपमान करता है. तंग आकर संध्या अपने घर वापस लौट जाती है. फिर किस तरह दोनों में प्यार होता है फिल्म बड़े दिलचस्प अंदाज़ में यही कहानी कहती है. अब बात कलाकारों की, प्रेम के रूप में आयुष्मान खुराना ने बढ़िया वापसी की है.
संध्या के रोल में भूमि पेडनेकर बॉलीवुड में इस साल की सबसे बड़ी खोज हैं. जिस तरह से वो अपनी घबराहट, परेशानी, अपमान और गुस्सा दिखाती हैं वो काबिले तारीफ़ है. पिता के रोल में संजय मिश्रा सीमा पाहवा, अल्का अमीन और शीबा चढ्ढा ने मिलकर हर सीन में जैसे जान फूंक दी है. फिल्म ख़त्म होती है तो लीड एक्टर्स के बजाय इनके सीन ज़्यादा याद रहते हैं.
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