
नई दिल्ली : 500-1000 रुपये पर लगे प्रतिबंध से रेलवे को तीन दिनों के लिए बाहर रखा गया। अब रेलवे बोर्ड के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक लोगों ने इस छूट का खूब फायदा उठाया। एसी फर्स्ट क्लास की टिकटों में अप्रत्याशित बिक्री दर्ज़ हुई है जिसमें संदिग्ध ट्रांजैक्शन्स भी हैं।
बीते दो दिन में रेलवे काउंटर पर भीड़ भी बढ़ी और रेलवे के टिकटों की कैश बिक्री भी. 500-1000 के पुराने नोट लेकर लोगों ने जमकर फ़र्स्ट क्लास और एसी-2 के टिकट खरीदे. 8 नवंबर को एसी फर्स्ट क्लास के 2000 टिक बिके। जबकि 9 नवंबर को एसी फर्स्ट क्लास टिकटों की बिक्री बढ़कर 27000 पहुंच गयी। यानी 24 घंटों में 1300 फीसदी से ज़्यादा की बढ़ोत्तरी। जब रेलवे ने कहा कि पैसे कैश रिफंड नहीं होंगे तब भी 10 नवंबर को एसी फर्स्ट क्लास के 18,000 टिक बिक गए।
यही हाल सेकेंड क्लास एसी टिकटों का भी रहा. 8 नवंबर को सेकेंड क्लास एसी के 37000 टिकट बिके. 24 घंटे बाद 9 नवंबर को बढ़कर 70000 सेकेंड क्लास एसी के टिकट बिक गए। जबकि 10 नवंबर को 64,000 टिकट बिके।
रेलवे बोर्ड चेयरमैन ए के मित्तल ने कहा, 'कुछ लोगों को लगा कि बड़े नोटों के इस्तेमाल का ये अच्छा मौका है. ये बात जब हमारी जानकारी में आयी तो हमने ऐसे ट्रांजैक्शंस के खिलाफ सर्कुलर जारी कर दिया।
रेलवे बोर्ड के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक फर्स्ट क्लास के टिकटों में 1300 फीसदी से भी ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई जो कई सवाल खड़े कर रही है। अब ऐसे हाई-लेवेल ट्रांजैक्शंस से निपटने के लिए रेलवे ने 10000 से ज़्यादा की टिकट बुकिंग्स पर कैश में रिफंड नहीं करने का फैसला किया। दिलचस्प ये है कि इन दिनों सामान्य श्रेणी के टिकटों की बिक्री में कोई ख़ास इज़ाफ़ा नहीं हुआ. इस दौरान ऑनलाइन टिकटों की बिक्री भी करीब जस के तस रही।
जाहिर है, रेलवे को मिली छूट का फायदा उन लोगों ने उठाने की कोशिश की जिनके पास पुरानी नकदी इतनी थी कि वो इसे बैंक में जमा कराने से बच रहे थे।
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