
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि लोन वृद्धि के बजाय अभी बैंकों की बैलेंस शीट को साफ-सुथरा बनाना आवश्यक है क्योंकि बैड लोन बढ़ने के चलते बैंक अभी लोन देने की हालत में नहीं हैं। RBI ने बैंकों से मार्च तक स्ट्रेस्ड एसेट्स के लिए पूरी प्रोविजनिंग करने को कहा है। राजन ने गुरुवार को फिर यह बात दोहराई। RBI ने बैंकों की बैलेंस शीट की पड़ताल के बाद उन्हें कुछ लोन को ऐसे वक्त में एनपीए मानने के लिए कहा, जब दुनियाभर के शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव बना हुआ है।
राजन ने इस फैसले का बचाव किया। उनके अनुसार , RBI को लगा कि इस मामले में तुरंत कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने बताया, सरकारी बैंकों पर बैड लोन बहुत ज्यादा है। बैंकों के मैनेजमेंट का काफी समय इसमें जा रहा है। बैड लोन की दिक्कत के चलते उनकी लोन ग्रोथ नहीं बढ़ रही है, जो इकनॉमिक ग्रोथ तेज करने के लिए आवश्यकता है। इसलिए बैलेंस शीट को साफ-सुथरा बनाना आवश्यकता है। राजन ने कहा, क्या पहले बैलेंस शीट को सुधारना चाहिए या लोन ग्रोथ पर फोकस करना चाहिए। दुनिया का अब तक का तजुर्बा यही कहता है कि पहले बैलेंस शीट को साफ-सुथरा बनाना आवश्यकता है। RBI के सरकारी बैंकों को प्रो-एक्टिव तरीके से बैड लोन की पहचान करने के आदेश से इन बैंकों की प्रॉफिटेबिलिटी में काफी गिरावट आई है। गुरुवार को SBI ने दिसंबर क्वॉर्टर के नतीजे पेश किए। इसमें उसका मुनाफा 1,115 करोड़ रुपये रहा, जो बाजार के 3,270 करोड़ रुपये के अनुमान से काफी कम है। इस क्वॉर्टर में एसबीआई को बैड लोन के लिए काफी अधिक प्रोविजनिंग करनी पड़ी, जिससे उसके मुनाफे में बड़ी गिरावट आई है। बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और देना बैंक भी लॉस में चले गए है।
राजन ने माना कि आरबीआई के बैंकों को स्ट्रेस्ड एसेट्स के लिए प्रोविजनिंग करने के आदेश से मार्केट वोलैटिलिटी बढ़ी है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम जरूरी था। उनके अनुसार, इससे इकनॉमी को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी। RBI के गवर्नर ने कहा, 'रिस्ट्रक्चरिंग या बैड लोन को बट्टे खाते में डालने जैसी डीप सर्जरी के लिए बैंकों को इसे समस्या मानना आवश्यकता है। यहां एनपीए बेहोशी की दवा है, जो सर्जरी से पहले दी जाती है।
अगर बैंक स्ट्रेस्ड लोन को ठीक मानते रहते हैं तो वे बैंडऐड जैसे उपाय करते है। वहीं, ऐसे मामलों में NPA क्लासिफिकेशन जैसे बड़े कदम की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि बैड लोन मानने से बैंक की फाइनेंशियल हेल्थ की सही तस्वीर सामने आती है। बैंक उन लोन को NPA कैटेगरी में डाल रहे है, जिनके लिए डीप सर्जरी की आवश्यकता है। वहीं, जिन लोन को रेगुलर किया जाता सकता है, उसके लिए वे ऐसा कर रहे है। वे कमजोर लोन एकाउंट्स के लिए प्रोविजनिंग भी कर रहे है।
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