
भारतीय रिजर्व बैंक की रपट के अनुसार कर्ज पर अधिक निर्भरता वाली कंपनियों की संख्या सितंबर 2015 में बढ़कर 15.3 प्रतिशत हो गई जो कि एक साल पहले 13.6 प्रतिशत थी। केंद्रीय बैंक ने वित्तीय स्थिरता रपट (एफएसआर) में यह निष्कर्ष निकाला है। बैंक ऋण इक्विटी अनुपात (डीईआर) के आधार पर कंपनियों की श्रेणी तय करता है। कर्ज पर अधिक निर्भरता वाली कंपनियों को वह हाइली लिवरेज्ड श्रेणी में रखता है।
इसके अनुसार कुल रिण में इन कंपनियों के कर्ज का हिस्सा 22.9 प्रतिशत से बढकर 24.9 प्रतिशत हो गया है। इसी तरह दूसरी या लीवरेज्ड श्रेणी की कंपनियों का हिस्सा बढ़कर सितंबर 2015 में 19.4 प्रतिशत हो गया जो कि सितंबर 2014 में 18.4 प्रतिशत था।

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