
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गृह और ऑटो ऋण सहित दूसरे कर्ज सस्ता करने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है। बैंक की ओर से गुरुवार को बेस रेट तय करने का नया फॉर्मूला जारी किया गया। इसके तहत अब रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट में कटौती करने के बाद तुरंत बैंकों को अपने कर्ज सस्ते करने होंगे। बेस रेट का नया फॉर्मूला एक अप्रेल से लागू होगा। अभी बैंक ऐसा करने में एक से दो महीने का समय लेते थे। साथ ही कई बार ऊंची लागत की दलील देकर कर्ज में कटौती भी नहीं करते थे। नए फॉर्मूले का सबसे ज्यादा फायदा नए कर्ज लेने वाले ग्राहकों को होगा। हालांकि इसकी वजह से डिपॉजिट रेट भी तुरंत कमी आएगी। बेस रेट अब रेपो रेट से लिंक: रिजर्व बैंक के इस कदम का मकसद बैंकों के बेस रेट को रेपो रेट से लिंक करना है, जिससे रेपो रेट में कमी का पूरा फायदा ग्राहकों को मिल सके। बेस रेट तय करने के नए फॉर्मूले का नाम मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) है।
यह फॉर्मूला फंड की मार्जिनल कॉस्ट पर आधारित है। इससे जहां कस्टमर्स को कम रेट का फायदा मिलेगा, वहीं बैंकों द्वारा पहले से ब्याज दर तय करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। इस नए फॉर्मूले का फायदा भले ही ऋण लेने वालों को मिलेगा, लेकिन इसके लागू होने पर बैंक जमा दर में कमी कर सकते हैं। इससे बैंकों में एफडी या अन्य स्कीम में पैसा जमा करने वालों को कम ब्याज मिलेगा।
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