130th Constitutional Amendment Bill: पीएम, सीएम और मंत्रियों की बर्खास्तगी से जुड़े विधेयक की जांच के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को लेकर में मनमुटाव जारी है। JPC को लेकर लगातार विपक्षी पार्टियां किनारा कर रही हैं। इससे पहले तृणमूल कांग्रेस ने इस समिति को तमाशा बताते हुए इसका विरोध किया। फिर समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी साफ कर दिया कि उनकी पार्टी JPC में शामिल नहीं होगी। अब आम आदमी पार्टी भी इसका विरोध कर रही है।
क्या होगा कांग्रेस का फैसला?
फिलहाल, टीएमसी, सपा और AAP के इस फैसले से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ गई है, क्योंकि अब उस पर भी विपक्षी एकजुटता के कारण दबाब बढ़ गया है। दरअसल, कांग्रेस अब तक इस पैनल का हिस्सा बनने के पक्ष में दिखाई दे रही थी, लेकिन टीएमसी के बाद सपा और AAP के कदम ने कांग्रेस हाईकमान को भी को भी सोचना पड़ सकता है।
इसे लेकर कहा ये जा रहा है कि पार्टी का मानना है कि संसदीय समितियों की कार्यवाही अदालतों में महत्व रखती है और विवादित विधेयकों पर जनमत को प्रभावित करती है, लेकिन बायकॉट ने विपक्षी समीकरण बदल दिए हैं। अब कांग्रेस के भीतर ही सवाल उठने लगे हैं कि क्या पार्टी नेतृत्व विपक्ष की एकता को प्राथमिकता देगा या फिर अपनी पुरानी लाइन पर टिका रहेगा।
अखिलेश ने किया विरोध
अखिलेश ने इस विधेयक को लेकर ये कहा कि यह कानून संघीय ढांचे के खिलाफ है। राज्यों में सीएम अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले वापस ले सकते हैं और केंद्र का उस पर कोई कंट्रोल नहीं होगा, क्योंकि कानून-व्यवस्था मुख्य रूप से राज्य का विषय है। केंद्र सिर्फ CBI, ED जैसी एजेंसियों द्वारा दर्ज मामलों को ही देख सकता है।
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