MAHATMA JYOTIBA PHULE: देश में पहला महिला शिक्षा स्कूल खोलने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती, जानिए उनके विचार

MAHATMA JYOTIBA PHULE: देश में पहला महिला शिक्षा स्कूल खोलने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले की जयंती, जानिए उनके विचार

नई दिल्ली: देश में आजादी से पहले महान विभूतियों ने जन्म लिया है। उनमें महात्मा ज्योतिबा फुले भी महत्यपूर्ण स्थान रखते है। बता दें कि ज्योतिबा फुले को उनके महान विचारों और देश में पहला महिला शिक्षा स्कूल खोलने के लिए याद किया जाता है। आज उनकी जयंती है। ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को हुआ था। समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए उन्होंने काफी कार्य किए।

यही नहीं उन्होंने महिलाओं के लिए देश का पहला महिला शिक्षा स्कूल खोला था। इसके अलावा वो भारतीय समाज में होने वाले जातिगत आधारित विभाजन और भेदभाव के कट्टर दुश्मन थे। देश में उस समय महाराष्ट्र में जाति प्रथा बड़े पैमाने पर फैली हुई थी इसके लिए उन्होंने प्रार्थना समाज की स्थापना की। अपनी पत्नी को सावित्री को पढ़ाया और वो दूसरों को पढ़ाने लगीं।

बता दें कि सावित्रीबाई फुले आगे चलकर देश की पहली प्रशिक्षित महिला अध्यापिका बनीं। ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई थी। साल 1888 में उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी गई थी। ज्योतिबा फुले ने इसके अलावा बहुत कुछ लिखा है। चलिए, बताते है ज्योतिबा फुले के विचार उन्होने कैसे अपने विचार लिखे।

1. स्वार्थ अलग-अलग रूप धारण करता है.कभी जाती का रूप लेता है तो कभी धर्म का -महात्मा फुले

2. भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक नहीं होगा, जब तक खान -पान एवं वैवाहिक सम्बन्धों पर जातीय बंधन बने रहेंगे -महात्मा ज्योतिबा राव फुले

3. अच्छा काम पूरा करने के लिए बुरे उपाय से काम नहीं लेना चाहिये -ज्योतिबा फुले

4. आर्थिक असमानता के कारण किसानों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है -ज्योतिबा फुले

5. शिक्षा स्त्री और पुरुष दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक है -ज्योति राव फुले

इसके अलावा ज्योतिबा फुले ने बहुत कुछ लिखा उन्होने लिखा कि परमेश्वर एक है और सभी मानव उसकी संतान हैं।

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