Open Book Exam का छात्रों और शिक्षकों पर क्या होगा असर, आखिर कितनी पुरानी है ये कॉन्सेप्ट?

Open Book Exam का छात्रों और शिक्षकों पर क्या होगा असर, आखिर कितनी पुरानी है ये कॉन्सेप्ट?

Open Book Exam Concept: हाल ही में केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 9वीं से लेकर 12वीं क्लास के लिए 'ओपन बुक एग्जाम' का कॉन्सेप्ट शुरू करने की घोषणा की है, तभी से इसे लेकर बहस तेज है। शिक्षा जगत में इसको लेकर कुछ लोग सहमत है तो कोई नहीं। अगर यह लागू किया जाता है तो हमारे देश के एजुकेशन सिस्टम में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। आइए जानते हैं कि ओपन बुक एग्जाम का कॉन्सेप्ट कितना पुराना है और इसका बच्चों के भविष्य और टीचर्स पर क्या असर होगा।

Open Book Exam में बच्चों को कैसे दिए जाते है नंबर?

ओपन-बुक एग्जाम में में नोट्स से टीचर के लिखाए गए पैराग्राफ को ज्यों का त्यों कॉपी करने, किसी भी स्टडी मटेरियल से जवाब उतारने के नंबर नहीं मिलते, बल्कि जब स्टूडेंट्स ने वहां से आइडिया लेकर अपनी भाषा में जवाब लिखता है, एग्जामिनर तब नंबर देते हैं।

क्या ओपन बुक एग्जाम रटने से मिलेगी राहत?

वहीं, यह भी दावा किया जा रहा है कि इस कॉन्सेप्ट से बच्चों को रटने से छुटकारा मिल सकता है। कुछ छात्र अक्सर विषय को समझने के बजाय रटकर परीक्षा देते हैं, जो परीक्षा में अच्छे अंक पाने के लिए कुछ सीखने और समझने पर जोर देते हैं। चूंकि यह एक खुली किताब परीक्षा है, इसलिए वे विषय को समझने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

पुराना है यह कॉन्सेप्ट, इन देशों ने भी अपनाया

यह कॉन्सेप्टभारतीयों के लिए नई है, लेकिन दुनिया के कई देशों की शिक्षा प्रणालियों में इसका पालन किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, इस कॉन्सेप्टपर आधारित परीक्षाएं सबसे पहले 1800 के दशक में यूरोप के लॉ कॉलेजों में आयोजित की गईं थीं। बाद में 20वीं सदी में अन्य कॉलेजों और विश्वविद्यालयों ने इसे अपनाया।जानकारी के मुताबिक, यूनाइटेड किंगडम में A-लेवल परीक्षाओं में ओपन बुक एग्जाम आम बात है। वहीं, नीदरलैंड के अधिकांश विश्वविद्यालय और अमेरिका के कुछ कॉलेज और विश्वविद्यालय ओपन बुक परीक्षा आयोजित करते हैं। इसके अलावा, सिंगापुर और हांगकांग के कुछ कॉलेजों और कनाडा के कुछ राज्यों में हाई स्कूल स्तर पर ओपन बुक परीक्षा की अवधारणा को अपनाया जाता है। 

यह भी हैं कुछ अहम पॉइंट्स

- कुल लोगों का कहना है कि पूरी तैयारी के ओपन बुक एग्जाम का सिस्टम लागू करना बच्चों और टीचर्स दोनों के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है।

- जो बच्चे किताबों और नोट्स के बिना एग्जाम में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, उनके लिए यह कॉन्सेप्ट अनुचित हो सकता है। 

- एग्जामिनर के लिए भी कॉपी चेक करना मुश्किल हो सकता है।

- ओपन बुक एग्जाम उन छात्रों के लिए भी अनुचित हो सकता है, जिनके पास साधन और सुविधाएं कम हैं।

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