Success Story: कौन हैं IAS वंदना सिंह? जिनके हाथ में है ‘Haldwani’ की कमान, घर बैठे की थी UPSC की तैयारी

Success Story: कौन हैं IAS वंदना सिंह? जिनके हाथ में है ‘Haldwani’ की कमान, घर बैठे की थी UPSC की तैयारी

DM IAS Vandana Singh Chauhan: उत्तराखंड के हल्द्वानी में हिंसा के चलते तनाव की स्थिति बनी हुईहै। यह हिंसा के इंदिरा नगर के बनभूलपुरा इलाके में बने मदरसे को हटाने गई पुलिस पर हमले के बाद स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। हलद्वानी नैनीताल जिले में आता है, इसलिए इस हिंसा को रोकने की जिम्मेदारी भी जिले के DM पर आती है। वर्तमान में नैनीताल की डीएम वंदना सिंह चौहान हैं। यहां हम बात कर रहे हैं वंदना सिंह के करियर, उनके आईएएस बनने के सफर के बारे में, कैसे उन्होंने UPSC क्लियर किया और IAS अधिकारी बनीं।

हरियाणा के नसरुल्लागढ़ की रहने वाली वंदना

यूपीएससी की तैयारी के लिए छात्र सालों मेहनत करते हैं। हालांकि कई लोग कड़ी मेहनत के बाद भी इसमें सफल नहीं हो पाते हैं, लेकिन कुछ लोग दुनिया की इस सबसे कठिन परीक्षा को बिना किसी कोचिंग के पास कर लेते हैं। ऐसी ही कहानी है हरियाणा के नसरुल्लागढ़ की रहने वाली वंदना सिंह चौहान की। हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाली वंदना ने साल 2012 में यूपीएससी में आठवीं रैंक हासिल की, हालांकि एक समय ऐसा भी था जब रूढ़िवादी सोच के कारण वंदना का परिवार उनकी पढ़ाई के खिलाफ था।

परिवार के लोग नहीं चाहते थे वंदना ज्यादा पढ़ाई करें!

दरअसल, घरवाले नहीं चाहते थे कि वंदना ज्यादा पढ़ाई करे। हालांकि, वंदना ने अपने सपने को पूरा करने के लिए काफी संघर्ष किया। वह शुरू से ही आईएएस अधिकारी बनना चाहती थीं। 4 अप्रैल 1989 को हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव में जन्मी वंदना के परिवार में लड़कियों को पढ़ाने का चलन नहीं था।

हालांकि वंदना के पिता ने उनका एडमिशन मुरादाबाद के एक गुरुकुल में करवा दिया, हालांकि वंदना की पढ़ाई को लेकर उनके दादा, ताऊ और चाचा समेत परिवार के सभी सदस्य फैसले के खिलाफ थे, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय के आड़े वंदना ने कभी किसी को नहीं आने दिया।

घर बैठे करीब 12-14 घंटे करती थीं पढ़ाई

12वीं की परीक्षा के बाद वंदना ने घर पर रहकर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। इस दौरान वह कानून की पढ़ाई भी कर रही थीं। इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद वंदना ने एलएलबी के लिए बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी, आगरा में एडमिशन लिया। ग्रेजुएशन के वर्षों के दौरान वह अपने कॉलेज नहीं गईं और घर पर ही रहीं।

वह प्रतिदिन लगभग 12-14 घंटे पढ़ाई करती थी। एक इंटरव्यू के दौरान वंदना की मां मिथिलेश ने बताया था कि वह गर्मियों में भी अपने कमरे में कूलर नहीं लगवाने देती थीं, क्योंकि वो कहती थी कि कमरे में ठंडक से नींद अच्छी आती है।

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