Sonia Gandhi Electoral Rolls 1980 Controversy: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 11सितंबर को कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी के खिलाफ एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि सोनिया गांधी का नाम 1980में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता सूची में शामिल किया गया था, जबकि उन्होंने 1983में भारतीय नागरिकता प्राप्त की थी। इस मामले में याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि सोनिया गांधी ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों के जरिए मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराया, जो चुनावी नियमों का उल्लंघन है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सोनिया गांधी के खिलाफ याचिका वकील विकास त्रिपाठी ने दायर की थी। उन्होंने दावा किया कि सोनिया गांधी का नाम 1980में मतदाता सूची में शामिल किया गया, जबकि वह उस समय भारतीय नागरिक नहीं थीं। उनके वकील पवन नारंग ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया के समक्ष तर्क दिया कि मतदाता सूची में नाम दर्ज करने के लिए भारतीय नागरिकता पहली शर्त है। उन्होंने यह भी बताया कि 1982में सोनिया गांधी का नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया था और 1983में, जब उन्होंने भारतीय नागरिकता प्राप्त की, तब इसे फिर से शामिल किया गया। इस पर याचिकाकर्ता ने सवाल उठाया कि अगर सोनिया गांधी 1980में नागरिक नहीं थीं, तो उनका नाम मतदाता सूची में कैसे शामिल हुआ? क्या इसके लिए जाली दस्तावेजों का उपयोग किया गया?
कोर्ट ने सुनाया फैसला
इस मामले मं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने 10 सितंबर को इस मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद 11 सितंबर को कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के दावों को पर्याप्त आधार न मानते हुए FIR दर्ज करने की मांग को खारिज कर दिया।
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