Super Blue Moon 2023: देश में बुधवार (30 अगस्त) को आसमान में चांद रोजाना की तुलना में थोड़ा बड़ा और चमकीला नजर आएगा। ऐसा माना जा रहा है कि अगस्त महीने में दो पूर्णिमा होने की वजह से ब्लू मून दिखेगा। पहली पूर्णिमा 1 अगस्त को थी और दूसरी पूर्णिमा 30 अगस्त की होगी। उस दिन इस घटना को पूरी दुनिया देखेगी। इस दिन चांद का साइज रोजाना की तुलना में 14 प्रतिशत ज्यादा बड़ा होगा। यह नजारा हर 2 या 3 साल में एक बार देखने को मिलता है। ऐसे में हर कोई इस घटना को अपनी आंखों में कैद करना चाहेगा। ब्लू मून कब निकलेगा और इसको कैसे देखना है? इससे पहले यह जान लें कि बूल मून होता क्या है?
साल 2018 में दिखा था ब्लू मून
अंतरिक्ष में कुछ खगोलीय घटनाओं के कारण न्यू मून, फुल मून, सुपर मून और ब्लू मून हमें आसमान में नजर आते हैं। ब्लू मून भी ऐसी ही एक खगोलीय घटना है, जो हर 2 से 3 साल में देखने को मिलती है। जब एक महीने में दो फुल मून निकलते हैं तो दूसरे वाले फुल मून को ब्लू मून कहा जाता है। यह साइज में तो थोड़ा बड़ा होता ही है, साथ ही इसका कलर भी देखने पर थोड़ा अलग दिखता है। यदि साल में किसी महीने में दो पूर्णिमा पड़ती है तो उस साल को मून ईयर कहते है। इससे पहले ऐसी ही घटना साल 2018 में देखने को मिली थी, यह साल भी मून ईयर था क्योंकि उस साल भी जनवरी के महीने में दो पूर्णिमा थी।
कहां देखे ब्लू मून?
दरअसल, सूरज के ढलने के वक्त यानी की शाम को ब्लू मून देखने की सलाह दी जाती है उस समय यह बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। लेकिन इस साल जिस वक्त ब्लू मून निकलेगा उस वक्त भारत में दिन होगा। यह अमेरिका में दिखेगा इसलिए भारतीय फोन पर ब्लू मून का दीदार कर सकते हैं। 30 अगस्त की रात को 8 बजकर 37 मिनट पर ब्लू मून सबसे ज्यादा चमकदार होगा। ये दर्शय वाकई में दिलचस्प होगा क्योंकि इसके बाद तीन साल बाद 2026 में ब्लू मून देखा गया था।
ब्लू मून क्यों निकलता है?
ब्लू मून का मतलब सिर्फ यही नहीं होता है कि चांद नीले रंग का नज़र आएगा, लेकिन वायुमंडलीय घटनाओं के कारण चांद का रंग नीला दिख सकता है। हालांकि, हर ब्लू मून नीला नजर आए ऐसा जरूरी नहीं है। नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के साथ बातचीत में साइंटिस्ट मार्टिन मेंगलन ने बताया कि जो रोशनी हम देखते हैं वह सूर्ज से परिवर्तित सफेद रोशनी होती है इसलिए, अगर रास्ते में कोई चीज हो जो लाल रोशनी को रोकती है तो कभी-कभी चांद नीला भी दिखाई दे सकता है, ऐसा ज्लावामुखी विस्फोट के बाद हो सकता है।
2 से 3 साल बाद क्यों निकलता है ब्लू मून?
चंद्रमा 29.53 दिन में पृथ्वी का एक पूरा चक्कार लगाता है, एक साल में 365 दिन होते हैं। उसके हिसाब से चांद एक साल में पृथ्वी के 12.27 चक्कर लगाता है। पृथ्वी पर एक साल में 12 महीने होते हैं और हर महीने एक पूर्णिमा होता है। इस तरह हर कैलंडर ईयर में चांद के पृथ्वी की 12 बार पूर्ण परिक्रमा करने के बाद भी 11 दिन ज्यादा होते हैं और हर साल इन अतिरिक्त दिनों को जोड़ा जाए तो दो साल में यह संख्या 22 और तीन साल में 33 होती है. इस वजह से हर 2 या 3 साल में एक स्थिति बनती है, जिसमें एक अतिरिक्त पूर्णिमा पड़ती है, इसी स्थिति को ब्लू मून कहा जाता है। 30 अगस्त को निकलने वाला ब्लू मून साल का सबसे बड़ा और सबसे चमकीला चांद होगा।
ब्लू मून का चंद्रयान 3 बनेगा ग्वाह
यह घटना ऐसे समय में होने जा रही है, जब भारत का मिशन चंद्रयान-3 चांद पर पहुंच चुका है। ऐसे में इस बार का ब्लू मून भातवासियों के लिए और भी ज्यादा खास है। 23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चांद की सतह पर कदम रखा है। 14 जुलाई को चंद्रयान को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। 40 दिन की यात्रा तय करके चंद्रयान 23 अगस्त को चांद के साउथ पोल में पहुंच गया। चंद्रयान के तीन मुख्य हिस्से हैं, प्रोप्ल्शन मॉड्यूल, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान. ये तीनों एक-दूसरे के साथ जुड़े थे लेकिन जैसे-जैसे चांद की ओर बढ़े तो अलग होते चले गए। सबसे पहले 17 अगस्त को लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान प्रोप्ल्शन मॉड्यूल से अलग हुए, इसके बाद विक्रम और रोवर ने अकेले चांद तक की यात्रा पूरी की. विक्रम के चांद पर पहुंचते ही दोनों अलग हो गए और अब रोवर प्रज्ञान चांद पर घूमकर सैंपल इकट्ठा कर रहा है, विक्रम और प्रज्ञान 23 अगस्त से 14 दिन तक चांद की सतह पर स्टडी करेंगे।
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