
एक तरफ जहां यह दौर बॉलीवुड में कई बेहतरीन और मील का पत्थर बनने लायक फिल्मों का है तो उसी में नए-नवेले निर्देशक इस कामयाबी पर पलीता लगाने में लगे हुए हैं। दरअसल कई फिल्म निर्माता और निर्देशक मानते हैं कि किसी भी तरह बॉक्स ऑफिस पर कलेक्शन आना चाहिए।
इसके लिए कभी फिल्म में अनावश्यक मसाला डालने की कोशिश की जाती है तो कभी फिल्म का नाम ऐसा रखा जाता कि कुछ खास वर्ग के दर्शक नाम देख कर ही फिल्म देखने चले आएं। हद तो तब हो जाती है, जब ऐसी फिल्मों में उस खास वर्ग को भी मनोरंजन के नाम पर कूड़ा परोस दिया जाता है। ऐसा ही किया गया है इस हफ्ते रिलीज हुई फिल्म दिल्ली वाली जालिम गर्लफ्रेंड में।
फिल्म की कहानी ऐसे दो दोस्तों से शुरू होती है, जो कुंआरे हैं और जिंदगी को सही ढर्रे पर लाने की कोशिश में लगे हुए हैं। इनमें से ध्रुव (दिव्येन्दु शर्मा) सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा है तो वहीं हैप्पी (प्रद्युम्न सिंह) हमेशा टशन में रहने वाला दिल्ली का युवा है। एक दिन ध्रुव से अचानक ही साक्षी (प्राची मिश्रा) की मुलाकात हो जाती है और ध्रुव को उससे एकतरफा प्यार हो जाता है।
साक्षी एक लोन देने वाली फाइनेंशियल एजेंसी में काम करती है। तब ध्रुव के दिमाग में उसके पास जाकर उसे पटाने के लिए लोन लेने का आइडिया आता है। ध्रुव और हैप्पी मिल कर थोड़े-थोड़े पैसों का जुगाड़ करके कार की डाउन पेमेंट जुटा लेते हैं। इन सबके लिए हैप्पी अपनी मां की सोने की चूड़ियां भी बेच डालता है। ये सब करके दोनों एक कार खरीद लेते हैं और साक्षी से दोस्ती करने में भी सफल हो जाते हैं।
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