
पोरबंदर पोर्ट से 350 किलोमीटर दूर दो पाकिस्तानी नावें थीं. एक नाव में विस्फोट हुआ लेकिन दूसरी नाव पाकिस्तान की तरफ चली गई. अब भारतीय कोस्ट गार्ड्स कोशिश कर रहे हैं कि दूसरी नाव के लोकेशन का पता लगाया जा सके.
सूत्रों के मुताबिक एनटीआरओ यानि नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑगनाइजेशन ने कराची से जो आतंकियों को संदेश मिला था उसमें आतंकियों को कहा गया कि उनके परिवारवालों को 5-5 लाख रूपये पहुंचा दिये गए हैं. कराची की तरफ से दिए संदेश में कहा गया कि वे जरूरत के हिसाब से फैसला करें. आतंकियों ने कराची वाले को कहा कि उन्हें हथियार मिल चुके हैं.
इस साजिश में पाकिस्तान के स्टेट एक्टर का का हाथ है. बिना उनके सहयोग से इतने बड़े ऑपरेशन को अंजाम देना मुमकिन नहीं है.गुजरात के समंदर में हथियार और बारूद से भरी नाव पकड़ी गई
भारत-पाकिस्तान समुद्री सीमा के निकट अरब सागर में मछली पकड़ने वाली एक संदिग्ध पाकिस्तानी नाव को भारतीय तटरक्षक बल व नौसेना ने जब आगे बढ़ने रोका, तब उसमें सवार लोगों ने विस्फोट कर नाव को ही उड़ा लिया. अंदेशा है कि एक बार फिर भारत को दहलाने की साजिश रची गई थी, जो नाकाम हो गई.
खुफिया सूचना के आधार पर इस संदिग्ध नाव की तलाश की गई. सुरक्षाबलों ने उसे आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की. इस बीच नाव में सवार आत्मघातियों ने इसमें आग लगा दी. भयंकर विस्फोट के बाद नाव समुद्र में समा गई.
शुक्रवार की घटना के बाद तटरक्षक के उप महानिदेशक के.आर.नौटियाल ने कहा कि यह नाटकीय घटना 31 दिसंबर की रात की है. संदिग्ध नाव का सीमा पर आना और पकड़े जाने पर नाव में सवार लोगों द्वारा विस्फोट कर खुद को खत्म कर लेना बेहद गंभीर मामला है.
उन्होंने कहा कि खुफिया सूचना के आधार पर इस नाव की तलाश डोरनियर हवाईदस्ते ने किया था. 31 दिसंबर की रात गुजरात के पोरबंदर से 365 किलोमीटर दूर भारत-पाकिस्तान समुद्री सीमा पर भारतीय तटरक्षक के जहाजों तथा नौसेना के विमानों ने उस नाव को रोकने की कोशिश की.
नौटियाल ने संवाददाताओं से कहा कि हिंद महासागर में जब तटरक्षक ने नाव को जांच के लिए रुकने का संकेत दिया, तो पहले उसने भागने का प्रयास किया. फिर छह घंटे बाद नाव की तमाम बत्तियां बुझा दी गईं.
उसमें सवार चार लोग छत के नीचे छिप गए और इसके बाद नाव में आग लगा दी, जिससे विस्फोट हो गया. संभवत: वे नाव में विस्फोटक भरकर ले जा रहे थे.
रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक, नाव कराची के केटी बंदर से चली थी, जिसकी मंशा किसी अवैध आदान-प्रदान की थी. तटरक्षक के एक जहाज ने उस नाव को जांच के लिए रुकने की चेतावनी दी, लेकिन उसने अपनी गति और बढ़ाकर भागने का प्रयास किया.
बयान के मुताबिक,करीब एक घंटे तक उस नाव का पीछा किया गया. गोलीबारी की चेतावनी देने के बाद उसे रोक पाने में सफलता मिली.उस नाव पर कुल चार लोगों को देखा गया. इसके बाद नाव की तमाम बत्तियां बुझा दी गईं.
अंत में संदिग्ध चालक दल ने खुद को जहाज की छत के नीचे छिपा लिया और नौका में आग लगा दी, जिसके बाद एक जोरदार धमाके के साथ भीषण आग लग गई.
बयान के मुताबिक,अंधेरा, खराब मौसम तथा तेज हवाओं के कारण नौका तथा उसमें सवार लोगों को नहीं बचाया जा सका. नौका पूरी तरह जल गई और एक जनवरी की सुबह डूब गई.
नौटियाल ने कहा कि नौका सुबह 6.33 बजे डूब गई. उन्होंने कहा,कुछ ऐसा था, जो गंभीर था. नहीं तो भागने या लाइट ऑफ करने का कोई कारण ही नहीं था
जब नाव डूबी, उस वक्त भारतीय डोरनियर विमान हवा में था. उन्होंने इस घटना को खुफिया और सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय का परिणाम बताया.
विशेषज्ञों ने इस बीच कहा कि इस घटना ने नवंबर 2008 को हुए मुंबई हमले की याद ताजा कर दी, जब समुद्र के रास्ते से 10 पाकिस्तानी आतंकवादी मुंबई में घुसे और 166 लोगों को मौत के घाट उतार दिया.
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