कोयला घोटाला मामले में रुंगटा बंधुओ को 4 साल की हुई सजा

कोयला घोटाला मामले में रुंगटा बंधुओ को 4 साल की हुई सजा

कोयला घोटाले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने आरएस रुंगटा और आरसी रुंगटा को चार-चार साल की सजा सुनाई है। यही नहीं कोर्ट ने आरएस रुंगटा और आरसी रुंगटा पर पांच-पांच लाख रुपए का और झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड (जेआईपीएल) पर 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है। विशेष न्यायालय ने 28 मार्च को दोनों आरोपियों को दोषी ठहराया था। आरएस रुंगटा और आरसी रुंगटा झारखंड इस्पात प्राइवेड लिमिटेड के निदेशक हैं। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश भारत पराशर ने 132 पेज के फैसले में रुंगटा बंधुओं को सजा सुनाई है। कोयला घोटाला में सुनाया गया यह पहला फैसला है। फैसले पर रुंगटा बंधुओं ने सजा हल्की किए जाने की अपील की। उनका कहना था कि इस मामले में मुख्य अभियुक्त कंपनी है, व्यक्तिगत रूप से रुंगटा बंधु नहीं। उन्होंने बढ़ती उम्र का भी हवाला देकर सजा कम करने की अपील कोर्ट से की। कोर्ट ने पर्याप्त साक्ष्य नहीं होने पर आरसी रुंगटा को आईपीसी की धारा 467, 468 और 471 में तथा आरएस रुंगटा को धारा 468 और 471 में दोषमुक्त किया है। कोर्ट ने माना है कि रुंगटा बंधुओं ने जरूरत से ज्यादा आवंटन प्राप्त कर लिया। कोर्ट ने दो अन्य उद्यमियों रामावतार केडिया और नरेश महतो को भी सम्मन जारी किया है। जब यह जानकारी दी गई कि दोनों की मौत हो गई है तो उनके खिलाफ कार्रवाई रोक दी गई।

30वीं स्क्रीनिंग कमेटी ने रूंगटा बंधुओं को झारखंड की नॉर्थ धाबू-27 से कोल ब्लॉक आवंटित की थी। इसमें झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड के अलावा इलेक्ट्रो स्टील कास्टिंग लिमिटेड, आधुनिक एलॉय एंड पावर लिमिटेड और पवनजय स्टील एंड पावर लिमिटेड को कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया था। कोर्ट ने उन्हें गलत दस्तावेजों से कोल ब्लॉक हासिल करने और धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र धाराओं का दोषी माना था। 23 दिसंबर 2015 को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आरएस रुंगटा की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व मंत्री दासारी नारायण को समन जारी करने की मांग की थी।

 

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