
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नीतिगत दरों में कटौती की अपनी इच्छा का संकेत देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वह भी वही चाहते हैं जो सब लोग चाहते हैं। रिजर्व बैंक 5 अप्रैल को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा। सरकार ब्याज दर में कमी की परिस्थितियां तैयार करने की दिशा में अपनी अपेक्षित भूमिका निभा चुकी है। वह चालू वित्त वर्ष में राजाकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 3.9 प्रतिशत तक सीमित रखने के लक्ष्य पर कायम रही और अगले वर्ष में इसे 3.5 प्रतिशत तक सीमित करने की योजना पर भी प्रतिबद्ध है।
इसके अलावा सरकार ने लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कटौती का एक साहसिक निर्णय भी किया है। इससे कर्ज सस्ता होने की गुंजाइश बढ़ी है। उद्योग जगत नीतिगत ब्याज दर में कमी की मांग करता रहा है। जेटली ने कहा कि भारत को अपने यहां कारोबार करने वालों के लिए सुगमता बढ़ाने की जरूरत है ताकि विदेशी एवं घरेलू निवेश प्रोत्साहित हो। जेटली ने साथ ही स्वीकार किया कि वैश्विक व्यापार में गिरावट से भारत पर भी असर पड़ा है। जेटली ने कहा कि भारत में कारोबार के लिए सुगमता बढ़ाना एक महत्वपूर्ण काम है और इस पर अभी काम चल रहा है। मोदी सरकार ने कई कानूनों को आसान किया है और वह कराधान प्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप करने में लगी है।
जेटली ने न्यू साउथ वेल्स के उद्योगपतियों को भारत में निवेश का न्योता देते हुए कहा कि भारत चाहता है कि विदेशी सॉवरेन संपदा कोष- एनआईआईएफ, पेंशन और बीमा कोषों का हिस्सा बनें। न्यू साउथ वेल्स के प्रधानमंत्री माइक बेयर्ड के साथ बैठक में वित्त मंत्री ने सरकार द्वारा सुधार उपायों का जिक्र किया। जेटली ने कहा कि वैश्विक नरमी के बावजूद हम 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर बरकरार रखने में कामयाब रहे है। हमारे सभी मानक मसलन- चालू खाते का घाटा बेहद स्वीकार्य स्तर पर हैं। उन्होंने कहा कि भरोसा है कि यदि अर्थव्यवस्था को वैश्विक समर्थन मिलता है, मानसून बेहतर है तो ये आंकड़े और बेहतर होते दिखते हैं।
Leave a comment