
पूरे साल उतार चढ़ाव जारी रहने के बावजूद देश के म्युचुअल फंडों ने वित्त वर्ष 2016 में भारतीय इक्विटी में 70,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया, जो 11 साल का उच्चस्तर है। खुदरा निवेशकों की तरफ से सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के जरिए निवेश जारी रहने और भविष्य निधि संगठनों की तरफ से हुए निवेश के चलते एमएफ के निवेश में तेजी आई। म्युचुअल फंडों ने वित्त वर्ष 2016 में 72,218 करोड़ रुपये का निवेश किया, जो इससे पूर्व वर्ष में 40,000 करोड़ रुपये रहा था। इसके उलट विदेशी संस्थागत निवेशकों ने वित्त वर्ष 2016 में 60,000 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की। साल 2010 से 2014 के बीच म्युचुअल फंड बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे थे और इन्होंने 75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के शेयर बेचे थे। कमजोर मॉनसून, वैश्विक बाजार में उतारचढ़ाव, कच्चे तेल की घटती कीमतें और कंपनियों की आय में सुस्ती के चलते वित्त वर्ष 2016 में भारतीय इक्विटी प्रभावित हुई। चीन ने मंदी का सामना किया और मुद्रा का अवमूल्यन भी, ताकि अर्थव्यवस्था को सुधार की राह पर लाया जा सके। वित्त वर्ष 2016 में बेंचमार्क सेंसेक्स 9.3 फीसदी फिसला। हालांकि म्युचुअल फंड मैनेजरों का नजरिया तेजी का बना रहा। फ्रैंकलिन टेम्पलटन इन्वेस्टमेंट्स इंडिया के मुख्य निवेश अधिकारी आनंद राधाकृष्णन ने कहा, कई वैश्विक कारक हैं जो पूंजी बाजार व अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे। कई कंपनियां जिंस क्षेत्र से जुड़ी हैं या निर्यात के रूप में उनका बाहरी दुनिया से जुड़ाव है। आउटलुक एशिया कैपिटल के मुख्य कार्याधिकारी मनोज नागपाल ने कहा, बेंचमार्क सेंसेक्स व निफ्टी अस्थिर रहा है, लेकिन पिछले साल दिसंबर तक मिडकैप शेयरों में तेजी दर्ज हुई, जिससे निवेशक मिडकैप शेयरोंं में निवेश के लिए प्रोत्साहित हुए। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2016 में 50 फीसदी मिडकैप फंड में आए, जबकि 35 फीसदी मल्टीकैप में और 10-15 फीसदी लार्जकैप फंड में।
वित्त वर्ष 2016 में फरवरी तक इक्विटी म्युचुअल फंडों में कुल 75,400 करोड़ रुपये का निवेश आया, जो किसी क्षेत्र में एक साल का रिकॉर्ड है। ज्यादातर रकम एसआईपी के जरिए आई। विशेषज्ञों ने कहा, म्युचुअल फंड को हर महीने सिर्फ एसआईपी से ही 2500-3000 करोड़ रुपये का निवेश मिल रहा है। रिलायंस एमएफ के डिप्टी सीईओ हिमांशु व्यापक ने कहा, ज्यादातर एसआईपी निवेशक बाजार के खराब व अच्छे दो चक्र से गुजरे हैं और इन्होंने लागत को औसत बनाने के महत्व के अलावा उन्हें लंबी अवधि में संपत्ति सृजन के लिए अनुशासित तरीके से निवेश का भी मर्म समझा। एसआईपी के आंकड़ों में इजाफा हुआ है और उसके औसत आकार व अवधि में भी।
व्यापक के मुताबिक, मौजूदा समय में आधे एसआईपी बी-15 शहरों यानी 10 अग्रणी शहरों के बाहर के हैं। फंड हाउस छोटे व मझोले शहरों में तेजी से अपना कामकाज बढ़ा रहे हैं, जब सेबी ने उन्हें इन क्षेत्रों से मिलने वाले निवेश के मामले में कुल खर्च अनुपात पर 30 आधार अंक अतिरिक्त वसूलने की अनुमति दी थी। बाजार के भागीदारों ने वित्त वर्ष 2016 में करीब 9000 करोड़ रुपये की पेंशन की रकम म्युचुअल फंड में निवेशित होने का अनुमान लगाया था, जिसमें से 5000 करोड़ रुपये कर्मचारी भविष्य निधि संगठनों के हैं। ईपीएफओ ने पिछले साल अगस्त में भारतीय इक्विटी में निवेश शुरू किया, जब सरकार ने इन्हें इस बाबत अनुमति दी।
Leave a comment