हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक दो से तीन दिन में चुनावी तारीखों की घोषणा हो सकती है।
हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए अंतिम दौर की समीक्षा जारी है। लेकिन चुनावी दंगल में उतरने वाले सियासी दलों की तैयारी अब भी न के बराबर दिख रही है। कहने को तो हर दल जनता के बीच जाने और संगठनात्मक तौर पर मजबूत होने का दावा कर रहा है,लेकिन हकीकत, इन दावों से बिलकुल उलट नजर आती है क्योंकि सत्ता पक्ष हर मोर्चे पर विपक्ष से ज्यादा संगठित और मजबूत नजर आ रहा है।
आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर BJP ने तैयारी और तेज कर दी है। सीएम की जन आशीर्वाद यात्रा और पीएम नरेंद्र मोदी की रोहतक रैली के बाद पार्टी के आला नेताओं ने प्रदेश की राजनीति के ताजा हालात पर मंथन किया, और नई रणनीति बनाने पर चर्चा की जिसके तहत पार्टी ने अपना जनसंपर्क अभियान शुरू कर दिया है। लेकिन दूसरे दल अभी चुनावी चिंतन के बजाए किसी और ही मंथन में उलझे हैं। कांग्रेस में रुठों को मनाने की कवायद चल रही है, तो वहीं टूटकर अलग हुए चौटाला परिवार को साथ लाने की कोशिश खाप पंचायतों की तरफ से अब भी जारी है। कुल मिलाकर विपक्षी की रेस में शामिल ये दल जनता के बीच अब तक अपनी मौजूदगी बीजेपी के मुकाबले में न के बरारबर ह दर्ज करा पाए हैं। ऐसे में सवाल ये उठता है कि अगर आधी अधूरी चुनावी तैयारी के साथ ये विपक्षी दल मैदान में उतरते हैं, तो क्या ये कड़ा मुकाबला दे पाएंगे।
चुनावी तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। ऐसे में जाहिर है चुनावी हलचल बढ़ने के साथ हड़बड़ाहट भी बढ़ेगी। सियासी रण में अपनी आखिरी पारी खेलने उतरे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस का किला दुरुस्त करने में जुट गए हैं। और अपने सारे मतभेद भुलाकर चुनावी बिसात बिछाने के लिए सबका साथ मांग रहे हैं। वहीं दूसरी क्षेत्रीय पार्टियां भी कुछ इसी तर्ज पर आगे बढ़ रही हैं। लेकिन समय का पहिया तेज़ी से घूम रहा है,और इसकी चाल के साथ जो नहीं चल पाएगा, वो कितना पीछे छूट जाएगा, ये बताने की शायद जरूरत नहीं है।
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