महाराष्ट्र में फिर सुलगी मराठा आरक्षण की मांग, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में दर्जनों घायल

महाराष्ट्र में फिर सुलगी मराठा आरक्षण की मांग, प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में दर्जनों घायल

Jalna Maratha Protest: महाराष्ट्र के जालना जिले में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहे प्रदर्शन ने हिंसा का रुप ले लिया। इसमें करीब 12 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल होने की खबर सामने आई हैं। जालना के पास अम्बड तहसील में शुक्रवार को आंदोलन पर बैठे मराठा समाज के लोगों पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया। प्रदर्शनकारियों पर ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि आंदोलनकारियों ने धुले-सोलापुर हाईवे बंद कर दिया था। मिली जानकारी के अनुसार, ऐसा बताया जा रहा हैं कि वहां पत्थरबाजी हुई।जिस पर पुलिस ने लाठी चार्ज किया। मराठा समाज ने लाठीचार्ज का विरोध किया। साथ ही हाईवे पर वाहन जलाए गए हैं।

आंदोलकारियों ने आज (2 सितंबर) को नंदुरबार, बीड और जालना में बंद करने का फैसला किया है। दरअसल, 29 अगस्त से आरक्षण की मांग को लेकर मराठा प्रदर्शनकारी संयोजक मनोज जारांगे समेत 10 लोग धरने पर बैठे थे। आज पुलिस ने भूख हड़ताल पर बैठे प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करने की कोशिश करी। जिसकी वजह से आंदोलन ने हिंसा का रुप ले लिया। तो वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शांति की अपील की और हिंसा की जांच के लिए समिति के गठन की घोषणा की।

राज्य में तनाव और तानाशाही

एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, '' महाराष्ट्र में इस समय सिर्फ तनाव और तानाशाही चल रही हैं। राज्य सरकार और गृह विभाग को राज्य में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी दी गई हैं। परंतु गृह मंत्रालय के प्रशासकों ने मराठा प्रदर्शनकारियों पर नकेल कसने के लिए पुलिस का प्रयोग कर रही हैं। राज्य में ये बहुत परेशान करने वाली बात है। जालना में हुई इस तनावपूर्ण घटना के लिए राज्य का गृह मंत्रालय जिम्मेदार है और मैं सार्वजनिक रूप से इस घटना का विरोध करता हूं।''

सीएम ने लाठीचार्ज पर जताया दुख

राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जालना जिले में मराठा आरक्षण के लिए चल रहे आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर हुए लाठीचार्ज की घटना गलत हैं। हमने इसकी जांच करने के आदेश भी दिया है। आगे सीएम ने कहा कि राज्य सरकार का ईमानदार रुख मराठा समुदाय को आरक्षण देने का हैं। सीएम ने राज्य में शांति बनाए रखने की अपील करी हैँ।

घटना की जानकारी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से ली गई हैं। आंदोलन के नेताओं से भी बातचीत की और उनसे आंदोलन समाप्त करने का अनुरोध करते हुए कहा कि अधिकारी उनके मुद्दों पर युद्ध स्तर पर कार्रवाई कर रहे हैं। 

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