
Sudarshan Setu: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (25 फरवरी) को सुदर्शन सेतु पुल का उद्घाटन किया।ये ब्रिज गुजरात के द्वारका में बना है और इस ब्रिज की भव्यता की खूब चर्चा हो रही है। इस ब्रिज की तस्वीर सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है। यह पुल अरब सागर में बेयट द्वारका द्वीप को मुख्य भूमि ओखा से जोड़ेगा। आपने इसकी भव्यता के बारे में तो बहुत सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि समुद्र के बीच बने ये पुल कैसे बनते हैं। तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि हमेशा पानी भरा रहने पर भी पुल कैसे बनाया जाता है?
किसी भी नदी या समुद्र पर पुल बनाने से पहले उस जगह की अच्छी तरह जांच की जाती है। देखा जाता है कि वहां पुल बन सकता है या नहीं और कहां-कहां पिलर बनाए जा सकते हैं। जब समुद्र में गहराई अधिक होती है तो उसके अनुसार भूमि का चयन किया जाता है। इसकी योजना बनने के बाद पुल बनाने का काम शुरू होता है। फिर पानी का बहाव, मिट्टी की स्थिति आदि को ध्यान में रखकर पुल बनाया जाता है।
क्या है पूरी प्रक्रिया?
पानी में भी नींव भरकर पुल बनाया जाता है। इसके लिए पिलर के लिए गहरी नींव भरी जाती है और इस नींव को भरने के लिए सबसे पहले जगह बनाई जाती है। क्या आपने कभी मौत का कुआं देखा है? जिसमें कार या बाइक पर स्टंट किया जाता है, ठीक उसी तरह जैसे पानी में जगह तैयार की जाती है। इस प्रकार के फाउंडेशन का नाम कॉफ़रडैम है। इसके लिए बड़ी-बड़ी प्लेटों को आपस में जोड़कर पानी के बीच में एक कुआं बनाया जाता है।
इसके बाद इस कुएं की जगह में पानी न तो अंदर आ पा रहा है और न ही बाहर जा पा रहा है। यह ठीक वैसा ही है जैसे आप पानी के बीच में एक पाइप जमीन में गाड़ दें या एक गिलास पानी में एक पुआल रख दें। फिर बीच का पानी निकाल दिया जाता है और ऐसी स्थिति में पानी के बीच खाली जगह बन जाती है। नदी में बहने वाला पानी आसपास के इलाकों से तो बहता है लेकिन उसके अंदर नहीं आता। फिर इसमें खंभों का निर्माण किया जाता है और बाहरी कॉफ़रडैम को हटा दिया जाता है। इस प्रकार एक-एक करके कई स्तम्भ बन जाते हैं। इन पिलर का निर्माण होने के बाद उनके ऊपर प्लेटफॉर्म बनाकर पूरा पुल तैयार कर लिया जाता है। पिलर को सीमेंट और कंक्रीट आदि से अच्छे से भरकर मजबूती दी जाती है।
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