जी-20 की बैठक से पहले रूस की चेतावनी, बोले- नजरअंदाज किया तो लेंगे एक्शन

जी-20 की बैठक से पहले रूस की चेतावनी, बोले- नजरअंदाज किया तो लेंगे एक्शन

G-20 Summit Delhi: राजधानी दिल्ली में 8 से 10 सितंबर को होने जा रहा हैं। इसके लिए प्रशासन की ओर से सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इस शिखर सम्मेलन में रूस का प्रतिनिधित्व करने के लिए रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को भारत भेजने का फैसला किया है। लावरोव ने शुक्रवार को कहा कि रूसी जी 20 शिखर सम्मेलन की अंतिम घोषणापत्र को तब तक रोकेगा। जब तक कि यह यूक्रेन और अन्य संकटों पर मॉस्को की स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं किया जाता हैं।

दरअसल, जी-20 सम्मेलन की भारत की ओर से की जा रही हैं। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव 9-10 सितंबर को नई दिल्ली में 20विकासशील देशों के समूहकी बैठक में रूस का प्रतिनिधित्व करने आने वाले हैं। लावरोव ने प्रतिष्ठित मॉस्को स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में छात्रों से कहा, "अगर हमारी स्थिति प्रतिबिंबित नहीं होती है, तो सभी सदस्यों की ओर से कोई सामान्य घोषणा नहीं की जाएगी।" रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, लावरोव ने कहा कि पश्चिम ने शिखर सम्मेलन की तैयारी के लिए बैठकों में यूक्रेन का मुद्दा उठाया था। जिस पर रूस ने जवाब दिया था कि "यह मुद्दा हमारे लिए बंद हो गया है"। उन्होंने पश्चिम पर अपने स्वयं के एजेंडे को आगे बढ़ाकर अंतरराष्ट्रीय संस्थानों को कमजोर करने का आरोप लगाया। 

रुसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने दिया सुझाव

भारत में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मलेन को लेकर सर्गेई लावरोव ने सुझाव दिया कि यदि जी 20 बैठक में आम सहमति नहीं बन पाती हैं। तो जी 20 अध्यक्ष एक गैर-बाध्यकारी विज्ञप्ति जारी की जा सकती हैं। लावरोव ने कहा, "एक अन्य विकल्प एक दस्तावेज़ को अपनाना है। जो जी20 क्षमताओं के क्षेत्र में मुख्य निर्णयों पर ध्यान केंद्रित करता है। लेकिन हर किसी को अपनी ओर से बाकी बातें कहने की अनुमति देता हैं।" बीतें साल इंडोनेशिया के बाली में हुई जी 20 शिखर सम्मेलन में सभी की सहमति से एक घोषणा करके कहा गया कि इसके अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की निंदा की है।जबकि, कुछ देशों ने संघर्ष को अलग नजरिये से देखा। परंतु इस बात को शिखर सम्मेलन के अंतर में स्वीकार किया गया। जी-20 देशों को यूक्रेन युद्ध जैसे देशों पर सहमति से एक घोषणा पत्र जारी करना होता हैं।

भारत सहित ये देश तटस्थ

चीन, भारत और ब्राजील जैसी अन्य देशों की प्रमुख शक्तियों ने शांति की अपील की। लेकिन मॉस्को के साथ अपने स्व्यं के संबंध निर्धारित करने का अधिकार भी सुरक्षित रखा हैं। चीन ने पश्चिम पर यूक्रेन को हथियों की आपूर्ति करके युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप हैं। लावरोव ने आगे कहा कि पश्चिम शिखर सम्मेलम की तैयारी वाली बैठक में यूक्रेन का मुद्दा उठाया था। जिस पर रूस ने जवाब दिया था कि यह मुद्दा हमारे लिए खत्म हो चुका हैं।

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