Petrol Price: अशांत मिडिल ईस्ट क्या सस्ता नहीं होने देगा पेट्रोल? जानें तेल का खेल

Petrol Price: अशांत मिडिल ईस्ट क्या सस्ता नहीं होने देगा पेट्रोल? जानें तेल का खेल

Instability In Middle East Is Affecting Petrol Price:मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव भारत के लिए लगातार मुश्किलों का सबब बनता जा रहा है। इस तनाव के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें एक बार फिर अस्थिर हो गई हैं। जिसके चलते देश में सरकार और तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल सस्ता करने की योजना फिलहाल रोक दी है। इसी वजह से देश के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी को सामने आकर कहना पड़ा कि सरकार और तेल कंपनियों के बीच पेट्रोल-डीजल सस्ता करने को लेकर कोई चर्चा नहीं चल रही है। उन्होंने मध्य पूर्व में तनाव की ओर भी इशारा किया और कहा कि मौजूदा हालात इसकी इजाजत नहीं देते।

अंतरराष्ट्रीय बाजार की बात करें तो खाड़ी देशों का तेल 3 जनवरी के निचले स्तर से 5 फीसदी तक बढ़ गया है। हालांकि, कीमतें अभी भी 80 डॉलर के नीचे बनी हुई हैं। लेकिन,विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतें अभी और अस्थिर रह सकती हैं। आने वाले दिनों में कच्चे तेल की कीमतें 85 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं। आइए आपको भी बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत क्या है और क्या आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल के दाम कम होंगे या नहीं?

कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद खाड़ी देशों का कच्चा तेल डेढ़ फीसदी की बढ़त के साथ 78.76 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ। हैरान करने वाली बात ये है कि बुधवार को ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 75 डॉलर प्रति बैरल से नीचे जाकर 74.79 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी। जिसके बाद अब तक इसमें 5.30 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है। जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है। अगर 80 डॉलर का स्तर टूटा तो कीमत 85 डॉलर प्रति बैरल तक जाने की संभावना है।

वहीं दूसरी ओर, अमेरिकी कच्चे तेल डब्ल्यूटीआई की कीमत में भी दो फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखी गई और कीमत 73.81 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। जबकि 3 जनवरी को अमेरिकी तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे थीं और 69.28 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं। तब से इसमें 6.53 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सोमवार तक अमेरिकी तेल 75 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाए तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

भारत पर क्या होगा असर?

दरअसल, मध्य पूर्व में तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमत में तेजी बनी हुई है। हूती आतंकवादी समूह तेल शिपिंग कंपनियों को निशाना बना रहा है। जिसका समर्थन ईरान करता है। वहीं दूसरी ओर अमेरिकी सेना हौथी को निशाना बनाने से नहीं चूक रही है। वहीं, हमास और इजराइल के बीच अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है। मध्य पूर्व के देश हमास के समर्थन में खड़े हो गए हैं। जिसके चलते अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश भी एक साथ एकजुट होने लगे हैं।

इसके अलावा प्रमुख ओपेक देशों ने पहले ही अपना तेल उत्पादन कम कर दिया है। जिसका असर अब कीमतों पर साफ नजर आने लगा है। जिसके चलते कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है और इसका असर भारत पर देखने को मिल रहा है। भारत सरकार और तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करने के लिए प्रतिबद्ध थीं। लेकिन मध्य पूर्व में तनाव ने पूरी प्लानिंग पर पानी फेर दिया।

नाम न छापने की शर्त पर एक विशेषज्ञ ने कहा कि सरकार आम चुनाव से पहले पेट्रोल और डीजल की कीमतें कम करने के लिए कदम जरूर उठाएगी। लेकिन अभी सिर्फ कंपनियां और सरकार मध्य पूर्व में तनाव कम होने का इंतजार कर रही हैं। साथ ही उन देशों के साथ डील पूरी होने का भी इंतजार है जो भारत को रूस से सस्ता तेल मुहैया कराएंगे। कुछ दिन पहले पेट्रोलियम मंत्री ने साफ कहा था कि सरकार नए सप्लायर्स की ओर देख रही है और कई देश भारत के सप्लायर बनने के लिए तैयार हैं। उसके बाद भी देश में पेट्रोल-डीजल सस्ता होगा।

कब से नहीं बदले पेट्रोल-डीजल के दाम?

वहीं भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। देश के महानगरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आखिरी बार बदलाव 21 मई को देखा गया था। उस वक्त देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल की कीमत पर टैक्स कम किया था। इसके बाद कुछ राज्यों ने वैट घटाकर या बढ़ाकर कीमतों को प्रभावित करने की कोशिश की। दिलचस्प बात यह है कि जब से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से रोजाना बदलने लगी हैं, तब से यह पहली बार है कि पेट्रोलियम कंपनियों ने रिकॉर्ड टाइमलाइन के दौरान कोई बदलाव नहीं किया है।

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