मुइज्जू के राज में मालदीव के सामने आर्थिक संकट, चीन के कर्ज के बीच भारत से राहत की उम्मीद

मुइज्जू के राज में मालदीव के सामने आर्थिक संकट, चीन के कर्ज के बीच भारत से राहत की उम्मीद

Mohamed Muizzu News: मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद से मालदीव की आर्थिक स्थिति गंभीर संकट में है। मुइज्जू ने सत्ता में आने के बाद 'इंडिया आउट' का नारा दिया और भारत के खिलाफ कई कदम उठाए, जिनका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर निर्भर करती है, और भारत के साथ रिश्तों में तनाव ने देश में पर्यटकों की संख्या को प्रभावित किया है। इसके परिणामस्वरूप, मालदीव को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे जनजीवन और व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

चीन के भारी कर्ज का बोझ

मालदीव पहले से ही चीन के भारी कर्ज के तले दबा हुआ है, और मुइज्जू के भारत-विरोधी कदमों ने कर्ज चुकाने की प्रक्रिया को और भी जटिल बना दिया है। चीन से लिए गए ऋण की अदायगी में दिक्कतों के कारण मालदीव की आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ गई है। इस संदर्भ में, मुइज्जू को भारत से आर्थिक सहायता की आशा है, और हाल ही में भारत और मालदीव के बीच सैन्य वार्ता का आयोजन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

भारत-मालदीव रक्षा वार्ता का महत्व

भारत और मालदीव के बीच हालिया सैन्य वार्ता में दोनों देशों के रक्षा सचिवों के बीच सकारात्मक बातचीत हुई। भारत के रक्षा सचिव गिरीधर अरमाने और मालदीव के चीफ ऑफ डिफेंस फोर्स जनरल इब्राहिम हिल्मी के बीच हुई इस वार्ता में दोनों देशों के रक्षा सहयोग को मजबूत करने और भविष्य के सैन्य अभ्यासों पर चर्चा की गई। भारत ने इस वार्ता को सफल बताते हुए दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत बनाने के संकेत दिए हैं।

मुइज्जू की भारत विरोधी नीतियों का प्रभाव

मुइज्जू ने पिछले साल के अंत में भारतीय सैन्य अफसरों को वापस बुलाने की मांग की थी, जिसके परिणामस्वरूप भारत ने 2024की शुरुआत तक 80सैन्य अफसरों को भारत बुला लिया। हालांकि, मालदीव में भारतीय हेलीकॉप्टर और विमानों के संचालन के लिए तकनीकी स्टाफ अब भी मौजूद है। मुइज्जू के नेतृत्व में ठंडे पड़ चुके द्विपक्षीय संबंध अब धीरे-धीरे सुधार की दिशा में बढ़ रहे हैं। हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की माले यात्रा और हालिया रक्षा वार्ता को रिश्तों में सुधार के सकारात्मक संकेतों के रूप में देखा जा रहा है।

आर्थिक संकट और कर्ज चुकाने की चुनौतियां

मालदीव का आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार, सुकुक बॉन्ड अब तक के सबसे निचले स्तर पर ट्रेड कर रहे हैं। 8अक्टूबर को 500मिलियन डॉलर की अगली किश्त चुकाने की तारीख नजदीक आ रही है, और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण डिफॉल्ट का खतरा बढ़ गया है। इस संकट से उबरने के लिए मालदीव को अंतरराष्ट्रीय सहायता की आवश्यकता है, और भारत से मदद की उम्मीद की जा रही है।

भारत-मालदीव रक्षा सहयोग का भविष्य

भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है। भारत ने मालदीव को डॉर्नियर विमान और गश्ती जहाजों की सहायता प्रदान की है। इसके अलावा, भारत द्वारा वित्तपोषित 500 मिलियन डॉलर की ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट जैसे कई बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स पर भी दोनों देशों ने मिलकर काम किया है। इन सहयोगों की सहायता से मालदीव की रक्षा और बुनियादी ढांचे की स्थिति में सुधार हुआ है, जो भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को और भी मजबूत कर सकता है।

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