India-China Troops Disengagement: भारत और चीन ने सीमावास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव कम करने के लिए दोनों सेनाएं पीछे हट रही है। भारत सरकार ने पहले ही इसकी पुष्टि कर दी थी। वहीं अब चीन ने भी बुधवार को पुष्टि की है कि पूर्वी लद्दाख में LACके साथ दोनों सेनाएं सैनिकों की वापसी से संबंधित प्रस्तावों को व्यवस्थित तरीके से लागू कर रही हैं।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, "चीन और भारत सीमा से संबंधित मुद्दों पर समाधान पर पहुंच गए हैं, लेकिन उन्होंने इस प्रक्रिया के बारे में अधिक जानकारी देने से मना कर दिया।"
मोदी-शी जिनपिंग वार्ता का सकारात्मक प्रभाव
इस समझौते के बाद, भारत और चीन ने 2अक्तूबर को पूर्वी लद्दाख के देपसांग और डेमचौक में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू की। यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत का परिणाम था। भारतीय सेना इस डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया परकड़ी नजर रख रही है। डेमचौक में दोनों पक्षों ने कई टेंट हटा दिए हैं, जिससे यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हो गई है।
पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद का इतिहास
पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सात प्रमुख बिंदु हैं, जहां तनाव बना रहता है। इनमें पेट्रोलिंग पॉइंट 14 (गलवान) और 15 (हॉट स्प्रिंग) शामिल हैं। अप्रैल 2020में चीन ने एक सैन्य अभ्यास के बाद इन क्षेत्रों में अतिक्रमण किया था। जून 2020में गलवान में हुई झड़प में भारत के 20जवान शहीद हुए, जबकि चीन ने केवल तीन सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की।
समझौते की मुख्य बातें
21 अक्तूबर को हुए समझौते के तहत, भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में LACपर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने पर सहमति जताई है। इस समझौते के अनुसार, चीन की सेना उन क्षेत्रों से पीछे हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्त्री ने बताया कि सीमा से सटे इलाकों में पेट्रोलिंग और 2020 के बाद के मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह समझौता दोनों देशों के बीच शांति और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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