विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस- रखे अपने बच्चों का ध्यान, जाने क्या है ये बीमारी

विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस- रखे अपने बच्चों का ध्यान, जाने क्या है ये बीमारी

नई दिल्ली: विश्वऑटिज़्म जागरूकता दिवस हर साल 2 अप्रैल को मनाया जाता है. यह एक मानसिक बीमारी है,जो बच्चों में देखने को मिलती है इससे ग्रस्त बच्चों में व्यवहार से लेकर कई तरह की दिक्कतें होती हैं. यह 1 से 3 साल के बच्चों में अधिक नजर आती है. लोगों को जागरूक करने के लिए हर वर्ष दो अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरुकता दिवस मनाया जाता है. इसे ऑटिज्म स्पैक्ट्रम डिसऑर्डर (Autism Spectrum Disorders) के प्रति जागरुकता की अहमियत को देखते हुए मनाया जाता है. इस दिन ऑटिज़्म से पीड़ित बच्चों के लिए सुधार को लेकर कठम उठाये जाते हैं.

संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2007 में 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस की घोषणा की थी. सौ में से एक बच्चा ऑटिज़्म को शिकार होता है. ऑटिज़्म वो बीमारी है जिसमें बच्चे का दिमाग ठीक तरह से विकस नहीं हो पाता. ऐसे बच्चों का विकास सामान्य बच्चों के मुताबिक काफी अलग और धीमा होता है. इससे बच्चे के सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन होता है. ऐसे बच्चे एक ही काम को बार-बार करते हैं. बच्चों में एक डर सा दिखाई देता है और कुछ बच्चे जल्दी से प्रतिक्रिया नहीं देते है. भाषा को सीखने-समझने में समस्या आती है. ऐसे लक्षण देख कर माता-पिता को डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अच्छा खानपान ना होने के कारण भी बच्चे ऑटिज्म का शिकार हो जाते हैं. और जिससे बच्चों का दिमाग ठीक तरीके से विकास नही कर पाता है. जिस कारण वो इस बीमारी का शिकार हो जाते हैं. यह बीमारी सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान होने के कारण होती है.

सामान्य तौर पर छह माह के बच्चे मुस्कुराना, उंगली पकड़ना और आवाज पर अपनी प्रतिक्रिया देना सीख लेते हैं, लेकिन जो बच्चें इस ऑटिज्म बीमारी का शिकार होते हैं. वह ऐसा नहीं कर पाते हैं. इससे बचने के लिए गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अच्छा खानपान रखना चाहिए. मात-पिता बच्चें को समझाते वक्त धीरे-धीरे एक-एक शब्द बोले. और बच्चे के साथ उसे दोहराएं, बच्चों को समय दे और उनके साथ खेलें, साथ ही उनसे प्यार से व्यवहार करे. माता-पिता और परिवार की थोड़ी-सी समझदारी बच्चे को एक बेहतर जिंदगी दे सकती है.

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