क्यों बंद हुई 2000 रुपये के नोटों की छपाई

क्यों बंद हुई 2000 रुपये के नोटों की छपाई

नोटबंदी के बाद शुरू किए गए 2,000 के नोट की अब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया  ने छपाई बंद कर दी है। राइट-टू-इन्फर्मेशन ऐक्ट के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक ने बताया कि इस वित्त वर्ष में 2,000 रुपये का एक भी नोट नहीं छापा गया। RBI ने इसकी कोई वजह नहीं बताई है, लेकिन जानकारों का कहना है कि इस अधिक वैल्यू वाले नोट को बंद करने के पीछे ब्लैक मनी, भ्रष्टाचार और जाली करंसी बड़े कारण हैं।

अधिक वैल्यू वाले नोटों से ब्लैक मनी बढ़ जाती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। ब्लैक मनी रखने वाले अधिक वैल्यू के नोटों को अपने पास जमा कर लेते हैं। इसके साथ ही जाली करंसी की समस्या से निपटने के लिए भी यह कदम उठाया गया है। कि पाकिस्तान से 2,000 रुपये के जाली नोट बड़ी संख्या में भारतीय मार्केट में पहुंचाए जा रहे हैं। इन नोटों की पहचान करना भी आसान नहीं है। इंटेलिजेंस ब्यूरो और फाइनैंशल इंटेलिजेंस यूनिट ने भी सरकार को गैर कानूनी गतिविधियों के लिए 2,000 रुपये के नोटों को जमा किए जाने का चलन बढ़ने की रिपोर्ट दी थी।

2,000 रुपये के नोटों की छपाई बंद करने से कुछ हद तक ब्लैक मनी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। इससे ब्लैक मनी रखने वालों के लिए करंसी जमा करना मुश्किल हो जाएगा। सरकार के लिए एक बड़ी समस्या जाली करंसी की है और 2,000 का नोट बंद होने से जाली करंसी का व्यापार करने वालों के लिए मुश्किल बढ़ जाएगी क्योंकि कम वैल्यू के जाली नोट बनाना और उन्हें चलाने में फायदा कम और पकड़े जाने का खतरा अधिक होता है। सरकार का जोर देश में डिजिटल ट्रांजैक्शंस बढ़ाने पर है। हालांकि, इसमें अभी तक बहुत अधिक सफलता नहीं मिली है। बड़ी वैल्यू के नोट उपलब्ध नहीं होने से लोग भुगतान के लिए डिजिटल माध्यम का उपयोग बढ़ा सकते हैं।

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