“किस मुहूर्त का इंतजार है?”, अवैध घुसपैठियों को डिपोर्ट ना करने पर SC सख्त

“किस मुहूर्त का इंतजार है?”, अवैध घुसपैठियों को डिपोर्ट ना करने पर SC सख्त

SC On Illegal Infiltrators: भारत में अवैध घुसपैठियां एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। राजनीतिक रैली से लेकर संसद तक, अवैध घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने की मांग की जा रही है। केंद्र और कुछ राज्य सरकरों ने अवैध घुसपैठियों की पहचान करने के लिए अभियान भी शुरु किया है। बीते महीनों में ही राजधानी दिल्ली में पुलिस के द्वारा अवैध बंग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान के लिए सघन अभियान चलाया गया। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का सख्त बयान सामने आया है। कोर्ट ने केंद्र से अवैध घुसपैठियों के डिपोर्ट पर डेटा मांगा है। कोर्ट ने कहा है कि उन्हें जानकारी दी जाए कि आखिर कितने विदेशी नागरिकों को अब तक डिपोर्ट किया जा चुका है और कितने अभी डिटेंशन सेंटर में हैं।

केंद्र को लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि इतने सालों के बाद भी अवैध विदेशी घोषित किए गए लोगों को निर्वासित करने में देरी क्यों हो रही है? SC ने कहा,'ऐसे 'अवैध विदेशी' लोगों का ब्यौरा दें, जिनकी वास्तविक राष्ट्रीयता ज्ञात है और उन्हें निर्वासित करें। यह भी बताएं कि ऐसे लोगों के लिए क्या नीति है जिनकी राष्ट्रीयता ज्ञात नहीं है?' सुप्रीम कोर्ट ने उचित जानकारी न देने और हलफनामे पर विवरण न देने के लिए असम के केंद्र को फटकार लगाई।'सुप्रीम कोर्ट ने कहा,'हिरासत केंद्रों में बंद व्यक्तियों के बारे में जानकारी दीजिए. हमें बताएं कि उन व्यक्तियों के लिए क्या नीति है, जिन्हें विदेशी घोषित किया गया है, लेकिन उनकी राष्ट्रीयता नहीं मालूम है। ऐसे लोगों को उचित सुविधाएं असम राज्य को हर 15 दिन में हिरासत केंद्रों/ट्रांजिट कैंपों का दौरा करने के लिए अधिकारियों की समिति गठित करनी चाहिए।'

“हिरासत में रखना अधिकारों का हनन”

सर्वोच्च अदालत ने आगे कहा,'लोगों को अनिश्चित काल तक हिरासत केंद्रों में नहीं रखा जा सकता। निर्वासन के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया? विदेशियों के रूप में पहचाने गए लोगों को निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए, हमें बताएं कि उन लोगों के लिए क्या नीति है जिनकी मूल राष्ट्रीयता अज्ञात है। डिटेंशन कैंप/ट्रांजिट कैंप में अनिश्चित काल तक हिरासत में रखना मूल अधिकारों का उल्लंघन है।'

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