राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाके में प्रदूषण की वजह से आपातकाल वाले हालात हैं। लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो रहा है, सांस लेने में सभी को दिक्कत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी शुक्रवार को चिंता जताई। अब कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि दिल्ली में स्मॉग टावर लगाने की क्या संभावनाएं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी तकनीक को तलाशा जाए जो ज्यादा रेंज तक हवा साफ करती हो। सरकार कम समय में उपकरण लगाने के मामले को स्टडी करे।
आसान शब्दों में कहें तो स्मॉग टावर एक बहुत बड़ा एयर प्यूरीफायर है। यह अपने आसपास से प्रदूषित हवा या उसके कणों को सोख लेता है। फिर वापस पर्यावरण में साफ हवा छोड़ता है।
चीन में ही 100 मीटर का स्मॉग टावर लगाया गया था। दावा किया जाता है कि यह 16 मिलियन m3 हवा गर्मियों मेंप्रतिदिन साफ करता है।
वहीं सर्दियों में यह आंकड़ा 8 मिलियन m3 होता है। पिछले साल दिल्ली के एक स्टार्टअप ने 40 फीट ऊंचा एयर प्यूरीफायर बनाया था। दावा किया गया था कि यह दिनभर में 32 मिलियन m3 हवा साफ करता है।
दिल्ली-एनसीआर में हेल्थ इमर्जेंसी लगी हुई है। पलूशन का स्तर 700 पार तक चला गया था। ऐसी स्थिति में सिर्फ एक टावर तो काफी नहीं होगा। लेकिन इन्हें बड़ी संख्या में लगाना इतना आसान भी नहीं है। इस एक टावर की लागत करीब 14 करोड़ रुपये आती है।
अब सीपीसीबी का कहना है कि चौराहों पर साफ हवा के लिए इनसे 5गुना बड़े प्यूरीफायर लगाने होंगे। वायू के बड़ा वर्जन 10हजार स्क्वॉयर मीटर तक की हवा को साफ करने में सक्षम है।
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