उत्तराखंड में मिला दुर्लभ मांसाहारी पौधा, इन जीवों का करता है शिकार

उत्तराखंड में मिला दुर्लभ मांसाहारी पौधा,  इन जीवों  का करता है शिकार

देहरादून: दुनिया में न जाने कितने किस्म के पेड़-पौधे है। ऐसे-ऐसे पौधे जिसके बारे में हमें कुछ नहीं पता है। कुछ पौधे हमें छांव के साथ-साथ फल देते है। तो कुछ हमारे रोजमर्रा की जिंदगी में काम आते है। हालांकि इन्हें हमें कुछ नहीं देना होता सिवाए पानी के। ऐसे में एक रिसर्च से एक ऐसे पौधे का चला है। जो ना तो फल देता है और  ना ही छांव। बस लेता है मांस। यह पौधा मच्छरों और कई अन्य प्रकार के छोटे कीड़ों को खा जाता है। ये बात सुनकर हैरान होना आम बात है लेकिन ये सच है। उत्तराखंड के जंगल में अजीबो-गरीब पौधे का पता चला है। जिसका नाम अट्रीकुलेरिया फर्सेलाटा है। इसे चमोली जिले के मंडल घाटी में खोजा गया है। वन विभाग के अनुसार यह एक अत्यधिक दुर्लभ खोज है. इसे यहां पर खोजना आसान नहीं था।

इस पौधे को आम भाषा में ब्लैडरवॉर्ट्स भी कहते हैं। हैरानी की बात ये है कि यह पौधा सिर्फ उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में यह पहली बार देखने को मिला है। उत्तराखंड में अब तक ड्रोसेरा, अट्रीकुलेरिया और पिंगुईकुला जीनस के 20 पौधे मिले हैं। ये सभी पौधे दुर्लभ होते हैं। लेकिन ब्लैडरवॉर्ट्स तो बेहद दुर्लभ होता है। यह पौधे ज्यादातर ताजे पानी और गीली मिट्टी में पाए जाते हैं। सामान्य पौधों की तुलना में भोजन और पोषण की व्यवस्था करने का उनका पूरी तरह से अलग तरीका है।

उत्तराखंड के वन विभाग का यह पहला ऐसा रिसर्च है, जो 'द जर्नल ऑफ जापानीज बॉटनी' प्रकाशित हुई है। यह जर्नल 106 साल पुराना है। जो टैक्सोनॉमी और वनस्पति विज्ञान के प्रतिष्ठित जर्नलों में आता है।  इससे पहले अट्रीकुलेरिया फर्सेलाटा (Utricularia Furcellata) को भारत में 1986 में देखा गया था, उसके बाद यह कहीं देखा नहीं गया था। वहीं इस पौधे की न दिखने का वजह बायोटिक प्रेशर और पर्यटन होती है।

आमतौर पर यह ऐसी जगहों पर उगता है, जहां पर मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम होती है, इसलिए यह कीड़े-मकौड़े खाता है। दूसरा ये कि इस पौधे के मेडिसिनल फायदे बहुत हैं। मांसाहारी पौधों की डिमांड मेडिकल फील्ड में लगातार बढ़ती जा रही है।

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