US Senator on India-China border dispute: संपन्न, ताकतवर और लोकतांत्रिक भारत ही चीन के गलत मंसूबों को नाकाम करेगा : अमेरिकी सीनेटर

US Senator on India-China border dispute: संपन्न, ताकतवर और लोकतांत्रिक भारत ही चीन के गलत मंसूबों को नाकाम करेगा : अमेरिकी सीनेटर

वॉशिंगटन: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर हाल ही में अमेरिका ने मध्यस्थता की बात की थी. हालांकि भारत और चीन ने उसके इस प्रस्ताव पर कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया था. अब एक अमेरिकी सीनेटर ने कहा है कि संपन्न, ताकतवर और लोकतांत्रिक भारत ही चीन के गलत मंसूबों को नाकाम करेगा. बता दें कि चीन और अमेरिका में मौजूदा दौर में तनाव बहुत बढ़ा हुआ है. दोनों देशों में कोरोनावायरस, हॉन्गकॉन्ग में नया सुरक्षा कानून और दक्षिण चीन सागर जैसे मुद्दों को लेकर टकराव बढ़ गया है. टेक्सास से रिपब्लिकन सीनेटर जॉन कॉर्निन ने गुरुवार को ट्वीट किया. इसके साथ ही उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल में विदेश मामलों के जानकार वॉल्टर रसेल मीड के एक लेख को शेयर किया
 
बता दें कि इस लेख में कहा गया है कि अमेरिका को भारत की विकास दर को उठाने में मदद करनी चाहिए. यह अमेरिका की विदेश नीति का पहला लक्ष्य होना चाहिए. किरसेल मीड ने लिखा कि अमेरिका ने लोकतांत्रिक देशों को अमीर बनाने में मदद करके शीत युद्ध में जीत हासिल की थी. अब उसी रणनीति को दोबारा से शुरू करने का समय है और भारत वह जगह है, जहां से इसकी शुरुआत होनी चाहिए. मीड ने कहा कि चीन के साथ नए शीत युद्ध में भारत, अमेरिका का नेचुरल सहयोगी है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी बीजेपी जब तक भारत की इकोनॉमी को तेज धक्का नहीं लगातीं, तब तक विकास दर स्थिर रहेगी. ऐसे में यह हर साल एक नियत दर से बढ़ेगी, जिससे भारत चीन से बहुत पीछे हो जाएगा. यह भारत और एशिया दोनों के लिए अच्छा नहीं होगा
 
उन्होंने कहा कि भारत में अगर विकास दर तेजी से बढ़ेगी तो कई लोग गरीबी से बाहर निकलेंगे, लेकिन भारतीय समाज शासन के लिहाज से बहुत कठिन है. वहां सुधारों को लागू करने में बहुत कठिनाई होती है. दरअसल चीन कोरोना महामारी की आड़ में भारत, ताइवान, हॉन्गकॉन्ग और साउथ चाइना सी (दक्षिण चीन सागर) पर अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है. इन जगहों से चीन का लंबे समय से विवाद है. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने इस पर विश्लेषण किया है. इसमें विशेषज्ञों ने कहा है कि कोरोना के इस दौर में जहां अमेरिका, लैटिन अमेरिका और यूरोप संक्रमण से जूझ रहे हैं, वहीं, चीन अपने एजेंडे में आगे बढ़ रहा है. 
 
 

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