कौन है असम के शिवाजी? जिनके नाम पर PM मोदी करेंगे 'स्टैच्यू ऑफ वेलोर' का अनावरण
Lachit Borphukan Statue: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार शाम असम की राजधानी तेजपुर पहुंचे। असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। असम में प्रधानमंत्री करीब 18 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। तवांग में वह 825 करोड़ रुपये से बनी सेला टनल का उद्घाटन करेंगे। यह सुरंग अरुणाचल के तवांग को असम के तेजपुर से जोड़ेगी। पीएम जोरहाट के होलोंगा पथार में प्रसिद्ध अहोम योद्धा लाचित बोरफुकन की 84 फीट ऊंची प्रतिमा का भी उद्घाटन करेंगे। इस संरचना को 'स्टैच्यू ऑफ वेलोर' के नाम से जाना जाएगा।
आपको बता दें कि लाचित अपने साहस के लिए जाने जाते थे, जिन्होंने कई बार मुगलों को युद्ध में हराया था। आपको बता दें कि लाचित बोरफुकन को उत्तर-पूर्व का शिवाजी भी कहा जाता है, उन्हें ऐसा क्यों कहा जाता है, यह खबर पढ़कर आप जान पाएंगे।
मुगलों को गुवाहाटी से निकाल दियाथा बाहर
लाचित ने मुगलों को कई बार हराया और हमेशा उन्हें युद्ध में परास्त किया। लाचित ने गुवाहाटी को मुगलों से मुक्त कराकर उस पर दोबारा कब्ज़ा कर लिया और मुगलों को गुवाहाटी से बाहर धकेल दिया। इस गुवाहाटी को पुनः प्राप्त करने के लिए, मुगलों ने अहोम साम्राज्य के खिलाफ सरायघाट की लड़ाई लड़ी। इस युद्ध में मुगल सेना ने 1,000 से अधिक तोपों के अलावा बड़े पैमाने पर नावों का इस्तेमाल किया, लेकिन फिर भी वे लाचित की रणनीति का मुकाबला नहीं कर सके।
उत्तर पूर्व के शिवाजी के नाम से जाने जाते थे बोरफुकन
लाचित बोरफुकन को उत्तर-पूर्व का शिवाजी भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने शिवाजी की तरह कई बार मुगलों की रणनीति को विफल किया था और उन्हें युद्ध के मैदान में हराया था। मुगलों द्वारा गुवाहाटी पर कब्ज़ा करने के बाद लाचित ने शिवाजी की तरह उन्हें बाहर खदेड़ दिया।
24 नवंबर को मनाया जाता है लाचित दिवस
मुगलों को हराने वाले लाचित बोरफुकन की बहादुरी और सरायघाट की लड़ाई में असमिया सेना की जीत की याद में असम में हर साल 24 नवंबर को लाचित दिवस मनाया जाता है। लाचित के नाम पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में सर्वश्रेष्ठ कैडेट स्वर्ण पदक भी दिया जाता है, जिसे लाचित पदक के नाम से भी जाना जाता है।
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