हरियाणा में किंगमेकर की रेस में किसका चलेगा जादू! मायावती, केजरीवाल से लेकर इन दलों ने पेश की दावेदारी
Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर 5 अक्टूबर 2024 को मतदान होने है। जिसके परिणाम 8 अक्टूबर 2024 को घोषित किए जाएंगे। इस बार विधानसभा चुनाव में पांच पार्टियों के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है। मैदान में सत्तारूढ़ बीजेपी-कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी भी आमने-सामने हैं। इसी के साथ क्षेत्रीय दलों में इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) गोपाल कांडा की हिलोपा और बसपा से गठबंधन कर मैदान में उतरी है। वहीं, जननायक जनता पार्टी ने भी चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी-काशीराम से अलायंस किया है। यानी दोनों क्षेत्रीय दल दलितों को साधने की कोशिश कर रहे है।
हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस मुख्य तौर पर ओबीसी और जाट वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे है। हरियाणा में 10 सालों से बीजेपी की ही सरकार है। फिलहाल, विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों को ज्यादा अहमियत दी जा रही है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, राज्य में एससी की आबादी करीब 20 फीसदी है।
चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी
अब अगर आम आदमी पार्टी की की बात करें तो पार्टी ने पहली बार सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। आपको बता दें, 2019 के चुनाव में AAP ने 46 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। लोकसभा चुनाव में AAP ने कांग्रेस के साथ गठबंधन किया और इंडिया ब्लॉक का हिस्सा बनी। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसलिए अब विधानसभा चुनाव में AAP अकेले ही अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
शराब नीति घोटाले में जेल गए AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल को अब जेल से जमानत मिल चुकी है। जिसके बाद वे हरियाणा के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए है। जिसके चलते उन्होंने हरियाणा का छोरा बताकर खुद को जनता से कनेक्ट करने की कोशिश की है। वहीं, पार्टी का धयान इस बार दिल्ली और पंजाब से सटे इलाकों में भी देखने को मिल रहा है।
बीजेपी और जेजेपी के बीच कई बार मतभेद
वहीं, अब क्षेत्रीय दलों की ओर देखे तो साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़े थे। जेजेपी ने जाट वोट बैंक के दम पर 10 सीटों पर चुनाव लड़ा था और पूरे राज्य में 0.87% वोट हासिल किए थे। लेकिन बीजेपी ने कुल 40 सीटें जीतीं। इसलिए जेजेपी ने बीजेपी से अलायंस कर नई सरकार बनाने की घोषणा कर दी। इसके बाद मनोहर लाल खट्टर दूसरी बार सीएम बने थे और दुष्यंत चौटाला पहली बार डिप्टी सीएम बनाए गए। लेकिन इस साल के आम चुनाव से पहले बीजेपी और जेजेपी के रास्ते अलग हो गए। जिसकी वजह से मनोहर लाल खट्टर ने अपने सीएम के पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद नायब सिंह सैनी को नया मुख्यमंत्री बनाया गया।
इसके बाद से ही दोनों के बीच मतभेद देखने को मिले है। 10 में से 4 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं और तीन ने पार्टी से दूरी बना ली है। पार्टी में बचे तीन विधायकों में दुष्यंत चौटाला, उनकी मां नैना चौटाला और अमरजीत ढांडा शामिल हैं। जेजेपी ने बीजेपी कृषि कानून और अग्निपथ योजना का विरोध किया। वहीं, इस बार जेजेपी ने चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी-काशीराम के साथ गठबंधन कर 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे है। जिनमें से 20 सीटें आजाद समाज पार्टी के लिए छोड़ी हैं। इस गठबंधन के जरिए जेजेपी को जाट समर्थन और आजाद समाज पार्टी के जरिए दलितों का समर्थन मिलने की आशंका जताई जा रही है।
इनेलो से एकमात्र निवर्तमान विधायक - अभय चौटाला
अब अगर क्षेत्रीय दलों की दूसरी पार्टी की बात करें तो, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने गोपाल कांडा की हिलोपा और बसपा के साथ गठबंधन किया है। इनेलो पहले ही मायावती की अगुवाई वाली बीएसपी के साथ गठबंधन कर चुकी है। इनेलो पार्टी की कमांड पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला और उनके छोटे बेटे अभय चौटाला के हाथ में है। आपको बता दें, अभय चौटाला दुष्यंत चौटाला के चाचा है। जिन्हें गठबंधन के नेताओं ने राज्य का सीएम फेस घोषित किया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इनेलो ने 7 सीटों पर चुनाव लड़कर कुल 1.84% वोट शेयर हासिल किया था। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, साल 2019 की तरह हरियाणा में निर्दलीय और छोटी पार्टियों की भूमिका अहम हो सकती है।
आज भी BJP का है दबदबा
वर्तमान समय में हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटें जीतकर 36.7 फीसदी वोट शेयर हासिल किया था। कांग्रेस ने 31 सीटें जीतकर वोट शेयर 28.2 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर अपनी जगह बनाई। वहीं, जेजेपी ने 14.9 फीसदी वोट शेयर के साथ 10 सीटें जीतकर तीसरे नंबर पर पहुंची। लेकिन हरियाणा में नई सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत थी। ऐसे में बीजेपी ने जेजेपी, हरियाणा लोकहित पार्टी और निर्दलीयों के समर्थन से सरकार बनाई थी।
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