EID-AL-ADHA 2023: देश भर में दिखी ईद उल-अज़हा की धूम, जानें आज के दिन का इतिहास और महत्व
नई दिल्ली: ईद अल-अधा, जिसे 'बलिदान की छुट्टी' या 'बकरीद' के रूप में भी जाना जाता है,यहदुनिया भर के मुस्लिम समुदाय का एक महत्वपूर्ण उत्सव है। आज पूरे देश में धूमधाम से बकरीद का त्योहार मनाया जा रहा है। बकरीद पर दिल्ली की जामा मस्जिद में लोगों ने नमाज अदा की और खुदा से अमन-चैन की दुआएं मांगी। जामा मस्जिद में बड़ी संख्या में भीड़ देखी गई। नमाज के बाद लोग एक-दूसरे के गले मिले और बकरीद की मुबारकबाद दी।
आपको बता दे कि, ईद उल अजहा या बकरीद इस्लाम धर्म का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार है, जिसे मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे जोश के साथ मनाते हैं। बकरीद इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12वें महीने में मनाया जाता है। ये रमजान का महीने खत्म होने के 70 दिन के बाद मनाया जाता है। इस दिन नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी दी जाती है। बकरीद के त्योहार को बकरीद, ईद कुर्बान, ईद-उल अजहा या कुर्बान बयारामी भी कहा जाता है। इस मौके पर दिल्ली की जामा मस्जिद पर नमाज अदा की गई जिसमें भारी संख्या में नमाजी पहुंचे।
बकरीद का इतिहास
इस्लाम के अनुसार, किसी समय अल्लाह के एक पैंगबर हुए हजरत इब्राहिम। वे हमेशा अल्लाह के दिखाए सच्चाई के रास्ते पर चलते थे। वे सभी से प्रेम करते थे और दूसरे लोगों को भी अल्लाह के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते थे। एक दिन उन्हें सपने में अल्लाह ने आकर अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया। हजरत इब्राहिम को अपना बेटा इस्माईल सबसे ज्यादा प्यारा था। हजरत साहब ने उसे ही कुर्बान करने का फैसला किया। बेटे की कुर्बानी देते समय उनका हाथ न रुक जाए, इसलिए पैंगबर ने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर छुरी चलाई और जब पट्टी हटाई तो इस्माईल सही-सलामत था और उसकी जगह एक भेड़ पड़ा था। तभी से कुर्बानी देने की प्रथा शुरू हुई जो आज भी निभाई जा रही है।
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