आज विश्व एड्स दिवस है। 31 साल पहले साल 1988 में दुनिया को एचआईवी संक्रमण के प्रति जागरूक करने के लिए इस दिन की शुरुआत की गई थी।
ये वह दौर था जब यह बीमारी तेजी से फैल रही थी। 90 के दशक के आखिर में एड्स चरम पर था, जिसने दुनिया को इसके खिलाफ लड़ने के लिए झकझोरा। जाहिर है हालात बदले, संक्रमण और मौत के मामलों में अच्छी गिरावट आई
बात करे आज की तो हर सप्ताह 15-24 साल की 6000 महिलाएं एचआईवी से संक्रमित होती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे पहले एड्स की उत्पत्ति किन्शासा शहर से हुई थी, जो वर्तमान में डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की राजधानी है। एड्स को लेकर सबसे दुखद यह है कि इस बीमारी के फैलने के करीब 30 साल बाद इसका पता चल पाया।
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 17 लाख नए मामले सामने आए थे। ये आंकड़ा 1997 में 30 लाख था। और अब तक तीन करोड़ 20 लाख लोगों की जान जा चुकी है। दरअसल भारत में पहला मामला साल 1986 में तमिलनाडु में सामने आया था।
दो साल पहले एड्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में एचआईवी संक्रमण में 46 फीसदी की कमी आई है। क्योंकि इसका 63 फीसदी महिलाएं करा रही हैं, जबकि पुरुषों में ये आंकड़ा 50 फीसदी ही है। बता दें कि भारत में 21 लाख लोग एड्स से पीड़ित हैं। इनमें 42 फीसदी महिलाएं हैं।
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