Lord Sun Temple: सूर्य भगवान को रोशनी का देवता माना जाता है। देशभर में सूर्य भगवान के कई मंदिर हैं। इन सूर्य मंदिरों में सबसे पहले कोणार्क के सूर्य मंदिर का नाम आता है। लेकिन बिहार में एक मंदिर ऐसा है जो डेढ़ लाख साल पुराना है। इसका निर्माण त्रेता युग में विश्वकर्मा भगवान से कराया था।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इस प्राचीन सूर्य मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने एक रात में किया था। देश का यह पहला ऐसा मंदिर है जिसका दरवाजा पश्चिम दिशा की तरफ है। इस मंदिर में सात घोड़े वाले वाले रथ पर भगवान सूर्य सवार हैं। बताया जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत यहीं से हुई थी।
सौ फीट ऊंचा है मंदिर
छठ पूजा में इस मंदिर का काफी महत्व है। यह मंदिर करीब एक सौ फीट ऊंचा है। इसके साथ ही यह प्राचीन मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। डेढ़ लाख वर्ष पुराना यह सूर्य मंदिर औरंगाबाद से करीब 18 किलोमिटर दूर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण काले और भूरे पत्थरों से किया गया है। यह सूर्य मंदिर देखने में ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर की तरह नजर आता है। अभी तक यह रहस्य है कि इस मंदिर का एक रात में कैसे निर्माण किया गया।
इलापुत्र पुरूरवा ऐल ने करवाया था निर्माण
सूर्य मंदिर के बाहर स्थित एक शिलालेख पर ब्राह्मी लिपि में एक श्लोक लिखा है।जिसके अनुसार 12 लाख 16 हजार वर्ष त्रेता युग के बीत जाने के बाद इलापुत्र पुरूरवा ऐल ने देव सूर्य मंदिर का निर्माण आरंभ करवाया था। इस मंदिर की मान्यता है कि जो भक्त इस मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
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