अरुण जेटली और यशवंत सिन्हा के बजट भाषण को समझना सबसे कठिन

अरुण जेटली और यशवंत सिन्हा के बजट भाषण को समझना सबसे कठिन

भारत ने अलग-अलग तरह के वित्त मंत्री देखे हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पर सर्वाधिक छाप छोड़ने वाले करीब 9 मंत्रियों ने 51 बजट भाषण पेश किए ।

उदारीकरण के दौर में सरकार की भूमिका और बजट भाषणों का महत्व कम हो गया है, भाषणों में वृद्धि हुई है। वर्तमान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पहले बजट भाषण में लगभग 11,000 शब्द इस प्रवृत्ति को रेखांकित करते हैं। जैसे-जैसे भाषण लम्बे और व्यापक होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे कम पठनीय होते जा रहे हैं।

फ्लेस्क किनकैड के अनुसार, बजट भाषणों को पढ़ना समय के साथ कठिन होता जा रहा है। अंग्रेजी भाषा के बजट पाठ की पठनीयता को आंकने के लिए फ्लेस्क किनकैड स्कोर का इस्तेमाल किया जाता है। शून्य से 100 अंकों तक के पैमाने पर पठनीयता को आंका जाता है। इस स्कोर पर अगर देखें, तो अरुण जेटली और यशवंत सिन्हा के बजट भाषण को समझना सबसे कठिन होता था। इनकी पठनीयता का स्कोर क्रमश- 52 और 54 से भी कम था। इस पैमाने पर सर्वाधिक स्कोर 62 सी डी देशमुख को और 61 स्कोर मोरारजी देसाई को मिलता है। इससे पता चलता है कि पहले के समय के पेश बजट भाषण जनता के लिए ज्यादा पठनीय और बेहतर समझ में आने लायक थे।

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