पेट्रोल भरवाने से भी कम समय में चार्ज होगी E-कार, जानकर उड़ जाएंगे होश

पेट्रोल भरवाने से भी कम समय में चार्ज होगी E-कार, जानकर उड़ जाएंगे होश

नई दिल्लीएक इलेक्ट्रिक कार जो पेट्रोल भरवाने से भी कम समय में चार्ज हो सकती हो, लंबे समय से मौजूदा और ईवी ड्राइवरों का सपना रहा है। लेकिन क्या होगा अगर यह और भी तेज़ी से चार्ज हो सके? बता दे कि,जल्द ही हम सभी का यह सपना सच होने वाला है।

केवल 72 सेकेंड मेंचार्ज होगी आपकी E-कार

आपको बता दे कि, स्विस टेक स्टार्टअप मोरंड द्वारा विकसित की जा रही है। इस नई तकनीक से दो मिनट से भी कम समय में कार को चार्ज किया जा सकता है।स्विस स्टार्टअप मोरांड एक ऐसी ही बैट्री चार्जिंग टेक्निक को विकसित कर रहा है जो केवल 72 सेकेंड में आपकी ई कार को चार्ज कर देगा। ये एक हाईब्रिड टेक्नोलॉजी होगी जो ट्रेडिशनल बैट्री और अल्ट्रा कैपेसिटर टेक्निक का यूज करेगी।

अमेरिकन पेट्रोयिम इंस्टीट्यूट के अनुसार एक कंबशन इंजन की कार का फ्यूल टैंक भरने में औसत दो मिनट का समय लगता है। वहीं इस नई तकनीक से इलेक्ट्रिक हाईब्रिड बैटरी को को चार्ज करने में इसका आधे से भी कम समय लगेगा। वहीं मोरांड के अनुसार इस हाईब्रिड टेक्निक का यूज करने से ट्रेडिशनल लिथियम आयन बैटरी की तुलना में लाइफ भी ज्यादा मिलेगी। बस बदलाव अल्ट्रा कैपेसिटर टेक्निक का होगा। मोरांड के संस्‍थापक और पूर्व एफ 1 ड्राइवर बेनोइट मोरांड ने बताया कि फिलहाल इसका एक प्रोटोटाइप तैयार किया गया है। हालांकि ये लंबी दूरी तय करने वाली ईवी जिनमें 100 किलोवॉट से ज्यादा के बैट्री पैक लगाए जाते हैं उन पर लागू नहीं होगी। ये तकनीक कारों के साथ ही ड्रोन और ई बाइक के लिए भी कारगर साबित होगी।

परीक्षण में 50हजार बार हुआ टेस्ट

मोरांड ने बताया कि 50हजार टेस्टिंग सर्किल में इस टेक्नोलॉजी का परीक्षण किया गया है। इस हाईब्रिड टेक्नोलॉजी और चार्जिंग की तुलना जब ट्रेडिशनल लिथियम आयन बैटरी से की गई तो उसकी क्षमता इससे कहीं कम निकली। कंपनी के अनुसार ये तकनीक ज्यादा तापमान में भी सही काम करती है, जो आमतौर पर पारंपरिक ईवी बैटरी के मामले में नहीं होती है।

फर्म अपनी तकनीक को बाजार में लाने के लिए एक पार्टनर फर्म के साथ काम कर रही है। शुरू करने के लिए लिथियम-आयन बैटरी तकनीक की तुलना में यह अधिक महंगा होगा, हालांकि मोरांड का लक्ष्य संभावित रूप से गेम-चेंजिंग हाइब्रिड तकनीक की लागत को कम करने के लिए उत्पादन को स्केल करना है।

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