नई दिल्ली :जम्मू-कश्मीर के कट्टरपंथी नेता सईद अली शाह गिलानी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है.एक ऑडियो बयान के जरिए उन्होंने कहा कि संगठन की मौजूदा स्थिति को देखते हुए मैं इस्तीफा दे रहा हूं. ऑडियो संदेश में गिलानी ने कहा है कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए मैंने हर तरह से अलग होने का फैसला लिया है। फैसले के बारे में हुर्रियत के सभी लोगों को चिट्ठी लिखकर कर सूचना दे दी गई.
आपको बता दें कि, कश्मीर बनेगा पाकिस्तान और कश्मीर में आतंकी हिंसा को हमेशा जायज ठहराने वाले कट्टरपंथी नेता सईद अली शाह गिलानी ने आखिरकार खुद को आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस से पूरी तरह अलग करने का एलान कर दिया है. अब सईद अली शाहहुर्रियत का हिस्सा नहीं हैं. वहीं नेता गिलानी की तबियत कुछ ठीक नही रहती.वह 90 साल के है. इसी साल फरवरी महीने में वो अस्पताल में भर्ती हुए थे. कई बार उनकी सेहत को लेकर अफवाहें भी उड़ चुकी हैं.
वहीं सईद अली शाह गिलानी को देश भर में पाकिस्तानपरस्त अलगाववादी नेता के तौर पर जाना जाता है. दरअसल कई बार कश्मीर में अशांति फैलाने और व्यवस्था में अवरोध पैदा करने के आरोप में वह जेल की हवा खा चुके हैं. 1989 में कश्मीर में आपातकाल के शुरुआती दौर में ही उन्होंने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से वो अलगाववादी नेता के तौर पर उभरे.1962 में गिलानी पहली बार 13 महीने के लिए हवालात गए थे. इसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई थी और वो घर भी नहीं जा पाए थे. इसके बाद से अब तक गिलानी कई बार जेल जा चुके हैं.
ये भी बता दें कि, आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस कश्मीर में सक्रिय सभी छोटे बड़े अलगाववादी संगठनों का एक मंच है। इसका गठन 1990 के दशक में कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा और अलगाववादी सियासत को संयुक्त रुप से एक राजनीतिक मंच प्रदान करने के इरादे से किया गया था.
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