अलविदा 'सुषमा स्वराज'

अलविदा 'सुषमा स्वराज'

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज 67 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहकर चली गई मंगलवार रात सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था।

जहां उन्होंने अंतिम सांस ली सुषमा स्वराज, एक ऐसी शख्सियत जिनकी संवाद क्षमता और वाकपटुता का हर कोई कायल था। हरियाणा के अंबाला छावनी में 1952 को जन्मी सुषमा, भारतीय राजनीति के पटल पर एक ऐसी नेता के रूप में उभरी, जिसने सियासत के हर क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ी 1970 के दशक में ABVPसे राजनीतिक सफर की शुरूआत करने वाली सुषमा स्वराज 1977 में महज 25 साल की उम्र में ही हरियाणा विधानसभा की सदस्य बनीं, और कैबिनेट मंत्री का पद संभाला 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनी।

वहीं अटल सरकार में विभिन्न मंत्रालयों को भी संभाला तो वहीं 2014 में बनी मोदी सरकार में विदेश मंत्री के पद पर काबिज रही। नब्बे के दशक में सुषमा राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय हो गईं। अटल जी की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 1998 में उन्होंने अटल जी की कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, इसके बाद हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा हार गई। पार्टी की हार के बाद सुषमा ने विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी और राष्ट्रीय राजनीति में लौट आईं। 1996 में हुए लोकसभा चुनाव में सुषमा दक्षिण दिल्ली से सांसद बनी थीं। इसके बाद 13 दिन की अटल जी की सरकार में उन्हें केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। मार्च 1998 में दूसरी बार अटलजी की सरकार बनने पर वे एक फिर से आईबी मिनिस्टर बनीं।

1999 में उन्होंने बेल्लारी लोकसभा सीट पर सोनिया के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन वे यहां हार गईं। सुषमा 2009 और 2014 में विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतीं। 2014 से 2019 तक वे विदेश मंत्री रहीं और दुनियाभर में भारतीयों को उन्होंने एक ट्वीट पर मदद मुहैया कराई। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों के चलते 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया था। भाजपा की जीत के बाद मन जा रहा था कि वे दोबारा विदेश मंत्री बनेंगी, लेकिन उन्होंने खराब सेहत के चलते मंत्री पद नहीं लिया। पीएम मोदी ने सुषमा स्वराज के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि भारतीय राजनीति के एक गौरवपूर्ण अध्याय का अंत हो गया। गरीबों और समाज के लिए जीवन देने वाली अद्वितीय नेता के निधन पर पूरा भारत दुखी है। सुषमा स्वराज जी अपनी तरह की अकेली इंसान थीं। वे करोड़ों लोगों की प्रेरणा का स्रोत थीं।

 

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