'तुरंत रद्द हो अस्पताल का लाइसेंस', बच्चा चोरी पर सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी

SC On Child Trafficking: सुप्रीम कोर्ट ने चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामलों पर बड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस भी अस्पताल से नवजात बच्चा चोरी हो, उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही राज्य सरकारों को भी फटकार लगाई और उन्हें सख्त रवैया अख्तियार करने का आदेश दिया। बता दें कि अस्पताल से बच्चा चोरी के एक मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि अगर किसी महिला का बच्चा अस्पताल से चोरी होता है तो सबसे पहले कार्रवाई करते हुए उस अस्पताल का लाइसेंस रद्द हो, ऐसा करने से काफी हद तक बच्चा चोरी की घटनाओं पर विराम लगेगा।
कब का था मामला?
साल 2024 में वाराणसी और वहां के आसपास के अस्पतालों में नवजात बच्चों की चोरी की घटनाओं में लिप्त आरोपियों को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिली थी। आरोपियों को जमानत दिए जाने के खिलाफ ही बच्चों के परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जस्टिस जे बी पारडीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने आरोपियों की जमानत रद्द करने का फैसला दिया। जमानत के फैसले को चुनौती न देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को भी फटकार लगाई।
अदालत ने कहा कि बच्चा चोरी करने वाले इस गिरोह के तार कई राज्यों तक फैले हैं जिसमें बंगाल, झारखंड और राजस्थान भी शामिल हैं। अदालत के मुताबिक, कई जगहों से चोरी हुए बच्चों को दूर राज्यों से बरामद किया गया है। टॉप कोर्ट ने इस मामले पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारतीय इंस्टीट्यूट ऑफ डेवेलपमेंट से भी बच्चा चोरी के संबंध में रिपोर्ट देने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने माता-पिता से भी कहा कि वो अपने नवजात बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी ज्यादा सतर्कता बरतें। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी हाई कोर्ट से कहा कि वो तत्काल चाइल्ड ट्रैफिकिंग के लंबित मुकदमों का ब्योरा लेकर ट्रायल कोर्ट से कहें कि छह महीने के भीतर सभी का निपटारा हो।
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