Paris Paralympics 2024: हाथों के बिना...महज 17 साल की उम्र में जम्मू-कश्मीर की आर्चर का ऐतिहासिक प्रदर्शन; बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

Paris Paralympics 2024: हाथों के बिना...महज 17 साल की उम्र में जम्मू-कश्मीर की आर्चर का ऐतिहासिक प्रदर्शन; बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

Paris Paralympics 2024: पेरिस में शुरू हुए पैरालंपिक खेलों के पहले दिन भारतीय एथलीट्स ने शानदार प्रदर्शन किया। इस दिन की सबसे बड़ी खबर 17 साल की आर्चर शीतल देवी की थी, जिन्होंने अपनी अविश्वसनीय क्षमता से सबको चौंका दिया। शीतल, जो कि दुनिया की पहली आर्मलेस आर्चर हैं, उन्होंने अपने पैरालंपिक डेब्यू में ही इतिहास रच दिया। आर्चरी के रैंकिंग राउंड के दौरान उन्होंने 703 अंक हासिल किए, जिससे उन्होंने एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया। हालांकि, थोड़ी ही देर में तुर्किए की ओजनूर गिर्डी क्यूर ने 704 अंक के साथ शीतल का रिकॉर्ड तोड़ दिया और नए रिकॉर्ड बना दिया।

शीतल की प्रेरणादायक कहानी

शीतल देवी जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ गांव की रहने वाली हैं। जन्म से ही फोकोमेलिया नामक बीमारी से ग्रस्त शीतल के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। पेरिस में उन्होंने 720 में से 703 अंक प्राप्त करके रैंकिंग राउंड में दूसरा स्थान हासिल किया, जो कि उनका व्यक्तिगत बेस्ट स्कोर है। इसके साथ ही, वह 700 अंक पाने वाली भारत की पहली महिला आर्चर बन गई हैं। उनके इस शानदार प्रदर्शन की सराहना देशभर में हो रही है, जिसमें भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह और अन्य सेलिब्रिटी भी शामिल हैं।

वर्ल्ड और पैरालंपिक रिकॉर्ड में टीम का प्रदर्शन

हालांकि शीतल का व्यक्तिगत वर्ल्ड रिकॉर्ड जल्दी ही टूट गया, लेकिन उनकी और राकेश कुमार की मिक्स्ड टीम ने पेरिस पैरालंपिक में आर्चरी के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित किया। शीतल और राकेश ने मिलकर 1399 अंक जुटाए, जो कि मिक्स्ड टीम इवेंट का सर्वाधिक स्कोर है। शीतल के 703 अंक और राकेश के 696 अंक के साथ दोनों ने वर्ल्ड और पैरालंपिक रिकॉर्ड को तोड़ दिया। इस शानदार प्रदर्शन के साथ ही उनकी जोड़ी क्वार्टरफाइनल में पहुंच चुकी है, जिसका मुकाबला 2 सितंबर को रात 8:40 बजे होगा।

शीतल के करियर की शुरुआत

शीतल देवी का आर्चरी करियर 15 साल की उम्र तक शुरू नहीं हुआ था। 2022 में एक परिचित के सुझाव पर उन्होंने जम्मू के कटरा में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड खेल परिसर का दौरा किया। यहाँ पर उनकी मुलाकात कोच अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वेदवान से हुई, जिन्होंने उन्हें आर्चरी की दुनिया से परिचित कराया। इसके बाद, शीतल कटरा में प्रशिक्षण प्राप्त करने लगीं और मात्र 2 साल में उन्होंने पैरालंपिक में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया।

शीतल की कहानी उनकी मेहनत और समर्पण की प्रेरणादायक मिसाल है, और उनके प्रदर्शन ने भारतीय खेल जगत को गर्वित किया है।

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