Sheetala Ashtami 2025 Shubh Muhurat: होली के आठवें दिन बाद मां शीतला की पूजा-अर्चना करने का विधान है। इस दिन को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, मां शीतला की पूजा और व्रत करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। इसी के साथ मां शीतला का आशीर्वाद भी मिलता है। लेकिन इस बार शीतला अष्टमी की तारीख को लेकर लोग दुविधा में हैं। तो आइए शीतला अष्टमी की तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि के बारे में जानते है।
शीतला अष्टमी कब है?
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। ऐसे में ये पर्व 22मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन मां शीतला की पूजा-अर्चना पूरे विधि-विधान से की जाती है। इस दिन व्रत रखने की बी परंपरा है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग ये व्रत करते हैं, वे एक दिन पहले बनाया हुआ खाना ही खाते हैं। यानी बासी खाना खाते है। इस पर्व को बसौड़ा भी कहा जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व उत्तर प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में मनाया जाता है।
शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22मार्च की सुबह 04बजकर 23मिनट पर शुरू होगी। जिसका समापन अगले दिन 23मार्च की सुबह 05बजकर 23मिनट पर होगा। ऐसे में 22मार्च को ही शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
शीतला अष्टमी का पूजन समय
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22मार्च की सुबह 04बजकर 23मिनट पर शुरू होगी। ऐसे में शीतला अष्टमी का पूजन समय सुबह 06बजकर 23मिनट से लेकर शाम 06बजकर 33मिनट तक रहेगा।
शीतला अष्टमी का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। इस दिन मां शीतला की पूजा करने से जीवन में खुशहाली बनी रहती है। बच्चों को बीमारियों से दूर रखने के लिए मां शीतला की पूजा की जाती है। मां शीतला का उल्लेख सर्वप्रथम स्कन्दपुराण में मिलता है।
मां शीतला का भोग
शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला को बासी खाने का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा बासी हलवा, पूड़ी और पुए आदि का भी भोग लगाया जाता है।
शीतला अष्टमी मंत्र
अगर आप चाहते हैं कि आपके घर की सुख-समृद्धि बने रहे तो शीतला अष्टमी के दिन शीतला माता के इस मंत्र का 51बार जाप करें। ऐसा करने से घर की सुख-समृद्धि बनी रहेगी और आपके परिवार के सदस्यों की सेहत भी अच्छी रहेगी।
शीतला अष्टमी मंत्र - ऊँ ह्रीं श्रीं शीतलायै नमः
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