जीडीपी की धीमी रफ्तार

जीडीपी की धीमी रफ्तार

भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार 2013 के बाद सबसे धीमी हो गई है। पिछले 18 महीने के दौरान देश की विकास दर लगातार गिर रही है। भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती इकॉनमी होने का ताज भी चीन के हाथों गंवा दिया है।

शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन घटने और निजी निवेश कमजोर होने से आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत पर आ गई। यह आर्थिक वृद्धि का छह साल का न्यूनतम आंकड़ा है।

सरकारी डेटा बताता है कि कंज्यूमर्स के बीच डिमांड कम हो रही है। फिलहाल इकॉनमी की जान सरकारी खर्च में बढ़ोतरी पर टिकी है।

मोदी सरकार ने हाल में विदेशी निवेशकों से सरचार्ज हटाया। कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की गई। संकटग्रस्त रीयल एस्टेट और नॉन बैंकिंग फाइनैंशल कंपनियों के लिए भी काम चल रहा है।

आर्थिक विकास दर गिरती रही तो नौकरियों का संकट होगा, प्रति व्यक्ति आय घटेगी। जानकार मानते हैं कि इन हालात में गैरजरूरी खर्चों से बचना चाहिए, ताकि आने वाले मुश्किल दिनों का सामना किया जा सके।

बाजार में डिमांड बढ़े, इसके लिए रिजर्व बैंक अगले हफ्ते फिर ब्याज दरें घटा सकता है। रिजर्व बैंक पहले भी यह उपाय कर चुका है, लेकिन डूबे कर्जों में फंसे बैंक पर्याप्त कमी नहीं कर रहे हैं। बड़े आर्थिक सुधारों की भी जरूरत समझी जा रही है।

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